सर्दियों के मौसम में बढ़ सकता है कोरोना का संकट, ठंड में अधिक फ़ैलाने की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों के मौसम में कोरोना का प्रकोप बढ़ सकता है। इसी कारण है कि यह मौसम सार्स, इंफ्लूएंजा आदि बीमारियों के पांव पसारने के अनुकूल होता है। वायरस का प्रभाव ठंडी या सूखी जलवायु में ज्यादा होता है। फ्लू जैसी बीमारियां ठंड व कम तापमान व आ‌र्द्रता में ज्यादा फैलती हैं। ठंड में सूरज की रोशनी कम होने के कारण विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है और इसके कारण इम्युनिटी भी प्रभावित होती है। इससे कोरोना समेत संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा ठंड में सांस से निकलने वाले भाप के जरिये वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा हो जाता है।

घरों की बनावट भी हो सकती है मददगार

कोरोना वायरस के प्रसार के लिए घरों की बनावट भी मददगार साबित हो सकती है। मसलन, तापमान के संतुलन के लिए घरों में बनाए गई वेंटिलेशन प्रणाली कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने में मददगार साबित हो सकती हैं। फ्लूड मेकैनिक्स नामक पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि ठंड के दिनों में जब लोग घरों में ज्यादा समय बिताते हैं तब वेंटिलेशन प्रणाली के जरिये कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना खुले के मुकाबले बंद जगह में ज्यादा तेजी से फैलता है। खुली जगह पर कोरोना के ड्रॉपलेट्स व एरोसोल को लोगों के संपर्क में आने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए उसके प्रसार की रफ्तार कम होती है।

रहना होगा ज्यादा सतर्क

नीति आयोग के सदस्य विनोद पॉल के अनुसार, हम कोरोना महामारी के शुरुआती दौर पर गौर करते हैं, जब कहा गया था कि जून में यह चरम पर होगी। हालांकि, सर्दियों के मौसम में सांसों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, हमें सतर्क रहते हुए संक्रमण को कम रखने में मदद करनी होगी।

कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या बड़ी चिंता

वैसे तो पूरे भारत में कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर की आशंका नहीं है, लेकिन दिल्ली, केरल और पंजाब में फिर से कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज होना चिंतित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आनेवाले कुछ महीने बेहद अहम हैं। खासकर त्योहारों के महीने में जब लोगों मिलना-जुलना ज्यादा होता है।

 

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