ई-कॉमर्स कंपनियों पर मिलने वाली भारी छूट पर सरकार जल्द ही लगाम लगाने जा रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बिल का प्रस्ताव तैयार किया है, जिससे कंपनियों पर छूट देने पर रोक लग सकती है।

त्योहारी सीजन के दौरान भारी छूट पर उत्पादों की बिक्री को लेकर अमेजन और वालमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट भारत सरकार के रडार पर आ गई हैं। सरकार जांच कर रही है कि भारी छूट से कहीं विदेश निवेश से जुड़े नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है।
इससे पहले सरकार ने ऑनलाइन खरीदारी पर दी जा रहीं लुभावनी पेशकशों से छोटे खुदरा कारोबारियों पर आश्रित 13 करोड़ लोगों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से फरवरी में नए नियम पेश किए थे।
ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, ई-कॉमर्स कंपनियां किसी भी उत्पाद या फिर सेवा की कीमतों पर प्रभाव नहीं डाल सकेगी। इससे उपभोक्ताओं द्वारा वस्तु खरीदने पर काफी असर पड़ता है। इसके अलावा कोई भी कंपनी किसी भी उत्पाद या फिर सेवा के लिए फर्जी ग्राहक बनकर उसका रिव्यू नहीं डालेगी। वहीं ऐसे उत्पादों की खूबियों के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर के उन्हें पेश नहीं किया जाएगा।
बिल के ड्राफ्ट प्रस्ताव के अनुसार किसी भी नई ई-कॉमर्स कंपनी 90 दिनों के अंदर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वहीं कंपनी के प्रमोटर या फिर उच्च अधिकारी को किसी को पिछले पांच सालों में किसी अदालत द्वारा जेल की सजा न दी गई हो।
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