मई महीने में खुदरा महंगाई दर अप्रैल के मुकाबले बढ़ी है. पिछले महीने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधार (CPI) महंगाई 4.87 फीसदी पर पहुंच गई. अप्रैल महीने में यह 4.58 फीसदी रही थी. सब्जियों और दालों के दाम में बढ़ोतरी के चलते खुदरा महंगाई बढ़ी है. दूसरी तरफ, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अप्रैल में बेहतर रहा है. अप्रैल में यह बढ़कर 4.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है.
मई के लिए खुदरा महंगाई का आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक के कुछ समय बाद आया है. आरबीआई ने 4 साल में पहली बार रेपो रेट की दरों में बढ़ोतरी की थी.
खुदरा महंगाई दर के आंकड़े आने से पहले ब्लूमबर्ग के इकोनॉमिस्ट पोल में इसके 4.9 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया गया था. यह डेटा केंद्रीय सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी किया गया है.
इस दौरान आरबीआई ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और हाउसिंग प्राइस बढ़ने की वजह से महंगाई बढ़ने के आसार जताए थे. आरबीआई ने महंगाई के 4.8 से 4.9 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है.
बता दें भारतीय रिजर्व बैंक ने जून के पहले हफ्ते में हुई तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया था. बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों की वजह से आरबीआई ने यह फैसला लिया था.
दूसरी तरफ, इंडस्ट्रियल एक्टिविटी का डेटा भी जारी किया गया है. इसके मुताबिक अप्रैल में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी इंडेक्स (IIP) 4.9 फीसदी रहा है. आईआईपी में बढ़ोतरी के लिए मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट मिलने को जिम्मेदार माना जा रहा है. इंडेक्स में इसकी भागीदारी तीन चौथाई रही है. इससे पहले मार्च में यह 4.4 फीसदी पर रहा था.
अक्टूबर में 2.2 फीसदी पर पहुंचने क बाद यह फरवरी तक औसतन 7.6 फीसदी के करीब रहा था. हालांकि मार्च में यह फिर नीचे आ गया. इस दौरान यह 4.4 फीसदी रहा था.
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