संसद में गुरुवार को तीन तलाक को लेकर जबरदस्त बहस चल रही है. लोकसभा में बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए यह बिल लाई है.
लोकसभा में रविशंकर प्रसाद के भाषण के साथ बिल पर बहस शुरू हुई. इसके बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुष्मिता देव ने अपनी बात रखी. इसके बाद बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस के नेता कह रहे थे कि वो इस बिल में हमारे साथ हैं, इससे मुझे खुशी है.
उन्होंने इस दौरान एक शेर भी पढ़ा, ”क्यों बनाते हैं हम ऐसे रिश्ते, जो पल दो पल में टूट जाते हैं…..वादा तो करते हैं ताउम्र साथ निभाने का, लेकिन हल्की से आंधी में गुज़र जाते हैं.” उन्होंने कहा कि इसी संसद ने सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाया और मामले में मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया. उन्होंने कहा कि सती प्रथा का समर्थन करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होती है.
इस दौरान उन्होंने मांग की कि सती प्रथा की तरह तीन तलाक में गवाह बनने वाले मौलवियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. तिहरे तलाक पर मुहर लगाने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान हो. जो समाज को गुमराह करते हैं, उन्हें भी सजा मिले. मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 1937 से पहले कस्टमरी लॉ थे, जिनको मुस्लिम भी समान रूप से मानते थे. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
तीन तलाक को रोकना है बिल का मकसद
लेखी ने कहा कि यह कानून तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को रोकने के लिए है. इससे तलाक नहीं रूकेगा, लेकिन तीन तलाक जरूर रूकेगा. उन्होंने कहा कि अभी तक शरीयत का कोई संहिताकरण नहीं किया गया. इसके चलते जिसके मन में जो आता है, वो वही करता है. इस बिल से मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलेगा और सरकार इसके पक्ष में है. मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कस्टमरी लॉ की तरह तीन तलाक का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
तीन तलाक से सड़क पर आ जाती हैं मुस्लिम महिलाएं
बीजेपी नेता लेखी ने कहा कि तलाक-ए-बिदद्त देकर कुछ ही क्षण में मुस्लिम महिला को सड़क पर खड़ा कर दिया जाता है. इस प्रथा से औरतों को बचाना होगा. जिस रफ्तार से ट्रिपल तलाक दिए जाते हैं, उसे रोकने की जरूरत है.
तीन तलाक से तीन तरह के अत्याचार
तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं पर 3 तरह के अत्याचार होते हैं. इसमें राजनीतिक अत्याचार पहला है, जो वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाता है. दूसरा आर्थिक अत्याचार है, जिसके चलते पीड़ित मुस्लिम महिला सड़क पर आती है और बच्चों को पालने के लिए तक उसके पास पैसे नहीं रहते हैं. इसके अलावा तीन तलाक के बाद मुस्लिम पर सामाजिक अत्याचार होता है. तलाक के बाद उसकी क्या हालत होती है, यह किसी से छिपी नहीं है. उन्होंने कहा कि महिलाएं आज भी अल्पसंख्यक हैं. महिलाओं के अधिकारों के साथ सियासत खेली जाती है.
मोदी जैसा भाई हो, तो मुस्लिम महिलाओं को डरने की क्या जरूरत
मीनाक्षी लेखी ने अपने भाषण के आखिरी में कहा कि पीएम मोदी ने लालकिला की प्राचीर से अपनी मुस्लिम बहनों के अधिकारों के लिए तीन तलाक के खिलाफ बिल लाने का वाला किया था, जिसको सरकार ने पूरा किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को ताना मारते हुए कहा कि जिसका मोदी जैसा भाई हो, उसको भला किससे डरने की जरूरत है.
इस दौरान उन्होंने एक और शेर पढ़ा, ”माना कि सुनसान घड़ी सख्त बड़ी है, लेकिन मेरे दिल ये तो फक़्त बड़ी है, हिम्मत करो जीने की अभी उम्र पड़ी है.”