शेखर पंडित, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के बहुतायात संगठन है लेकिंन झोला भर संगठनों में जो संगठन पत्रकारों द्वारा चुनाव से चयन किया जाता है. उसे ही शुद्ध माना जाता है, एक और देशव्यापी यूनियन की जड़े उत्तर प्रदेश से जुड़ी है जिसका अघोषित रूप से क्लब चलता है और जिसको क्लब की सदस्यता मिल जाये वो भी शुद्ध हो जाता है ।
ऐसे शुद्ध संघठन प्रदेश के पत्रकारों के हितों और उनकी समस्याओ पर प्रदेश स्तर पर कोई सभा नही करते, लेकिन उनकी शहादत या मौत होने पर एक ही दिन में दो दो बार सभाएं करते है, मौन रखते है और श्रद्धांजलि भी देते है। ऐसे ही हैं हमारे एक शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS), हर क्षण तैयार बैठे रहते हैं कि इधर किसी की खबर आए और उधर वे तड़ से अपनी शोकसभा का कार्यक्रम शुरु करें। वैसे इनको जैसे ही किसी की बीमारी की खबर मिलती है,उनकी बांछे खिल जाती हैं, कभी सेल्फी या कभी अपने कैमरामैन जिसको साथ लेकर चलते है तस्वीर से नही चूकते है और तुरंत ही सोशल मीडिया पर इनका सक्रियता का खेल चालू हो जाता है।
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सुबह-सुबह शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) का हमारे मोबाइल पर अचानक हमला हुआ। मैं-तो-मैं, मेरा मोबाइल भी आनेवाली आशंका के भय से कराह उठा। और वही हुआ शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) ने बताया आ जाना आज शोक सभा है, जगह भी खास है, मेरे पास टाइम कम है। कम-से-कम सौ लोगों को अभी सूचना देनी है। सौ लोगों को फोन करो तो पलट के पचास लोग आते हैं। शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) हमारे नेता है, हमें कुछ पूछने की इजाज़त नही है, जबसे नेता हुए है उनके रंग भी बदल गए है, पहले शुक्रवार को मिल जाते थे अब तो हर वार ही उनका शुक्रवार है, हालांकि आज के प्रतिद्वंदिता के इस दौर में शोकसभा में भी ब़ड़ी प्रतियोगिता शुरू हो गई है। कई शोक सभा स्पेशलिस्ट के पदार्पण से शोकसभा में भी नए नए प्रयोग होते है।
हमारे शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) का क्या कहना, उन्होंने नया अंदाज़ और नया नाम दिया शोकसभा का और इसका स्थान का चयन भी ऐसा किया जहां सिर्फ खास लोग आ सके, लेकिन नया करने का अंदाज़ पर जब आलोचना शुरू हुई तो शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) ने तत्काल अपने दूसरे पद और दूसरे संगठन का प्रयोग किया और एक ही दिन में दूसरी सभा का आयोजन कर डाला । एक ही व्यक्ति की शोकसभा के लिए बार बार भीड़ कहा से लाते, ऐसे में जगह और वक़्त का ऐसा इन्तेज़ाम किया की तस्वीर में कुछ गमगीन चेहरे तो नज़र आये और फिर इस सभा के लिए चुनाव ऐसी जगह का किया जहाँ शाम होने के बाद ज़्यादातर लोग शोकाकुल नज़र आते है और इस सभा को आम और खास का नाम दिया।। खास वो जो हर रात वहां शोक व्यक्त करते है और आम वो जिन्हें इस सभा के लिए खास आमंत्रित किया गया था, बस बन गया काम,, दे दी श्रद्धांजलि, रख लिया मौन , एक बार नही दो दो बार, कही ऐसा न हो कि कुछ नया करने के चक्कर मे हमारे शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) राव ण को जलाने के बजाए किसी शोकसभा में मंच पर माल्यार्पण कर राव ण को बैठा दे ।
वाह शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) आपके कद की बढ़ोतरी के लिए जरूरी है किसी का मरना और फिर उसकी दिव्य और भव्य शोक सभा का होना। शोकसभा आपके व्यक्तित्व विकास का कच्चा माल है। रासायनिक खाद है। इंतजार कीजिए आपके मोबाइल पर भी जल्दी ही शोक सभा स्पेशलिस्ट (SSS) दस्तक देनेवाले हैं,क्योंकि बदलते मौसम और बदलते हालात में कई साथी तंगहाली और बीमारी में चल रहे हैं ।