भारत माता के इस दुलारे योद्धा की सीमा पर दुश्मनों से दो-दो हाथ करने के बाद भी लड़ाई जारी है। वह 33 माह से ‘शून्य’ से निकलने की जंग लड़ रहा है। आसमान में ताकती आंखें, शांत हो चुके लब, गहन खामोशी और 33 माह से मिलिट्री अस्पताल ही ठिकाना। दो बच्चियों को अपने पापा के एक बार फिर से बोलने और उठने का इंतजार है। जालंधर छावनी के मिलिट्री अस्पताल के ऑफिसर वार्ड में सैन्य योद्धा लेफ्टिनेंट कर्नल करणवीर सिंह नट की खामोशी ही उनकी वीरगाथा को बयां करती है।
लेफ्टिनेंट कर्नल करणवीर सिंह नट नवंबर 2015 से ऐसी ही स्थिति में हैं। उनकी याद्दाश्त और आवाज जा चुकी है। कभी-कभार पुकारे जाने पर वह आंखें खोलते हैं। अदम्य साहस से खतरनाक आतंकी को खत्म करने पर सेना ने उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा है। लेकिन, उनके परिवार को उनके फिर से बोल उठने और उनकी प्यारी मुस्तान का बेसब्री से इंतजार है।