शिवसेना नेता संजय राउत से शनिवार को हुई मुलाकात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री फडनवीस ने कहा कि संजय राउत जी शिवसेना के अखबार सामना के लिए मेरा साक्षात्कार लेना चाहते थे। इस पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई थी, मैं चाहता था कि इसे शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित किया जाए। बैठक में कोई राजनीतिक बातचीत नहीं हुई।

गौरतलब है कि ऐसा कहा जा रहा है कि शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को कुछ खास मुद्दों को लेकर देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। राउत ने कहा था कि वह महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता हैं और बिहार चुनाव के लिए भाजपा प्रभारी हैं। हमारे आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को हमारी इस बैठक के बारे में जानकारी है
बता दें कि कुछ दिन पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट कर भाजपा-शिवसेना के संबंध सुधरने की तरफ इशारा किया था । अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या यह मुलाकात दोनों दलों के आपसी संबंधों को पुन: गठबंधन के स्तर तक ले जाने का प्रयत्न है? इस मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने भी यह कहकर सवाल खड़ा कर दिया है कि वर्तमान सरकार को गिराने का प्रयत्न हम नहीं करेंगे। लेकिन यदि यह अपने ही अंतर्विरोधों के कारण गिरी, तो क्या होगा?
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मजबूत स्तंभ शिवसेना और अकाली दल थे। शिवसेना को मजबूरन एनडीए से बाहर निकलना पड़ा, अब अकाली दल निकल गया। एनडीए को अब नए साथी मिल गए हैं, मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं। जिस गठबंधन में शिवसेना और अकाली दल नहीं हैं, मैं उसको एनडीए नहीं मानता। गौरतलब है कि भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने शनिवार शाम एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी।
अकाली दल के इस फैसले से सियासी हलचल पैदा हो गयी थी। वहीं, शिवसेना के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि जिस गठबंधन में शिवसेना और अकाली दल नही, उसे एनडीए नहीं कहा जा सकता है।
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