देशभर में अति प्राचीन मंदिर हैं जहां ईश्वर अपने श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। इन मंदिरों में अगाध आस्था और श्रद्धा के साथ श्रद्धालु शीश नवाते हैं और अपनी मनोकामना के लिए याचना करते हैं। श्रद्धालुओं की अर्जी इन मंदिरों में सुनी जाती है और फिर श्रद्धालु इन्हें शक्ति के जागृत स्थल मानकर यहां पूजन के लिए उमड़़ने लगते हैं। ऐसा ही एक जागृत स्थल है शिला देवी मंदिर। जी हां, राजस्थान में आमेर में यह मंदिर भव्य महल के प्रासाद में प्रतिष्ठापित है। शिला देवी मंदिर में राजाओं की कुल देवी रहती हैं। मंदिर शिला माता के लक्खी मेले के लिए भी जाता है। जी हां लक्खी मेला।
मंदिर में श्रद्धालु इस उत्सव के दौरान उमड़ते हैं और देवी मां की आराधना करते हैं। नवरात्रि में तो यहां श्रद्धालुओं का सैलाब ही उमड़ पड़ता है। यह मंदिर जयपुर के कछवाह वंशीय राजाओं की कुलदेवी शिला देवी का है। दरअसल माता के मंदिर में गणेश जी और हिंगला माता की भी मूर्तियां प्रतिष्ठापित हैं। इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराज सवाई राजा मानसिंह द्वितीय द्वारा वर्ष 1906 में निर्मित करवाया गया था।
यहां प्रति शुक्रवार माता की आराधना करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ते हैं। माता को प्रसन्न करने के लिए यहां चुनरी और सौलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित की जाती है। दरअसल राजा मानसिंह ने यहां युद्ध विजय के लिए प्रार्थना की थी और इसके बाद उनकी युद्ध में विजय हुई थी। यह मंदिर पुरातत्व की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है।
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