शानदार जीत की ओर मालदीव के मोहम्मद नशीद 

मालदीव के निर्वासित पूर्व नेता मोहम्मद नशीद देश वापस लौटने के केवल पांच महीने बाद हो रहे राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत की ओर आगे बढ़ रहे हैं. चुनाव के आ रहे शुरुआती रुझानों में रविवार को यह जानकारी मिली.

रूझानों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति नशीद (51) राष्ट्रीय संसद के शीर्ष पद पर लौटने के लिए तैयार हैं. उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी 87 सदस्यीय सदन में दो तिहाई बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. शनिवार को हुए चुनाव के प्रारंभिक नतीजों से पता चला कि एमडीपी 87 में से 50 सीटें जीत रही है, जबकि निजी मीडिया की खबरों के अनुसार पार्टी को 68 सीटें मिल रही है.

आपको बता दें कि, नशीद के चिर प्रतिद्वंद्वी और निरंकुश पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन को पांच साल के कार्यकाल के बाद सत्ता से बेदखल होने के लिए मजबूर होना पड़ा था. जिसके बाद शनिवार को यहां हुए चुनाव के दौरान 78 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. माना जा रहा है कि इस चुनाव में जीत हासिल करने के बाद नशीद यहां की कई कानूनों में बदलाव भी करेंगे.

पूर्व राष्ट्रपति यामीन फिलहाल धन-शोधन और गबन के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इससे पहले पूर्व उपराष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने सितंबर 2018 के दौरान हुए राष्ट्रपति चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल की थी, जिसके बाद नशीद की मालदीव वापसी संभव हो सकी थी.

नशीद ने चुनाव के दौरान कहा कि मालदीव में हुए चुनाव देश में एक नई सुबह का स्वागत करने जा रहा है. भारत और चीन के बीच नशीद को भारत का समर्थक माना जाता है. वहीं, यामीन भारत के विरोधी और चीन के पक्षधर माने जाते रहे हैं.

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद बातचीत में भारत और चीन के बीच कोई दुराव नहीं होने की बात दोहराते हैं. इसके साथ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कह कर अपने घर को सुरक्षित रखने की बात कहते हैं.

इस चुनाव के पूर्व मोहम्मद नशीद ने भारत की यात्रा भी की थी. इस दौरान वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मिले थे. माना जा रहा है कि मालदीव की सत्ता में आने के बाद भारत और मालदीव के संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे.

लोकतांत्रिक तरीके से हए चुनाव में राष्ट्रपति बने थे नशीद

मालदीव में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से हए चुनाव के दौरान राष्ट्रपति बने नशीद 2008 से लेकर 2012 तक सत्ता में थे. लेकिन विपक्ष के कथित विरोध के बाद सेना और पुलिस की मदद से उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. लेकिन उस दौरान राष्ट्रपति बने मोहम्मद हसन ने नशीद के तख्ता पलट के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि नशीद ने संवैधानिक तरीके से और खुद से राष्ट्रपति के पद को छोड़ा था.

इसके बाद स्थानीय अदालत में जज को हिरासत में लेने के आरोप में गिरफ्तारी से बचने के लिए नशीद ने 13 फरवरी 2013 को माले स्थित भारतीय दूतावास में शरण ली थी. जिसके बाद भारत के हस्तक्षेप के बाद यह मामला सुलझ पाया था.

2015 में नशीद पर मालदीव की आतंकवाद निरोधी कानूनों के अंतर्गत कई आरोप लगाए गए थे. मालदीव में कई आरोपों का सामना करने वाले नशीद को 2016 में यूनाइटेड किंगडम ने अपने यहां शरण भी दी. इसके बाद वह श्रीलंका में भी निर्वासन में थे.

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