हम एक आम आदमी पर कमजोरी और अवसाद के असर के बारे में जानते हैं, लेकिन यह दंपतियों के बीच के रिश्ते से किस तरह जुड़ा हुआ है, इस पर अधिक तहकीकात नहीं की गई है। अगर शादी करने वाले हैं, तो ये जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपका भावी जीवनसाथी कमज़ोरी (फ्रेल्टी ) या डिप्रेशन से ग्रस्त न हो। वर्ना इसका असर आप पर भी हो सकता है। यह बात एक शोध में साबित हुई है।
कमजोर से शादी कर आप भी हो सकते हैं कमजोर और अवसादग्रस्त व्यक्ति से शादी कर आप भी हो सकते हैं अवसादग्रस्त। अध्ययन में यह भी कहा गया कि बूढ़े लोगों में कमजोरी और अवसाद का एक बड़ा कारण उनका जीवनसाथी होता है। अध्ययन में कहा गया है कि 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के 10 फीसदी लोगों में कमजोरी (फ्रेल्टी) की समस्या देखी जाती है। इसके कारण बूढ़े दंपति अपंग हो सकते हैं, गिर सकते हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है और उनकी उम्र घट सकती है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिक उम्र वाले पति कम उम्र वाले पति की तुलना में अधिक अवसादग्रस्त और कमजोर होते हैं, लेकिन अधिक उम्र वाली पत्नी कम उम्र वाली पत्नी से अधिक अवसादग्रस्त नहीं होती है, पर अधिक कमजोर होती है।
अध्ययन में पाया गया है कि उम्रदराज महिला या पुरुष में कमजोरी जितनी अधिक होगी, उतना वे अवसादग्रस्त होंगे। साथ ही जितना अधिक अवसाद होगा, उतनी ही अधिक कमजोरी होगी।जर्नल ऑफ अमेरिकन गेरिएट्रिक्स सोसायटी में प्रकाशित अध्ययन में शादीशुदा लोगों पर कमजोरी और अवसाद के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। शोध में 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के 1,260 दंपत्तियों के आंकड़े जुटाए गए।
इन तीन या अधिक लक्षणों के बाद किसी को भी कमजोर माना जा सकता है-
गत एक साल में बिना चाहे 10 पाउंड शारीरिक वजन घटना,
कमजोरी महसूस होना, थक जाना,
गति धीमी हो जाना और शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो जाना।
दंपतियों के मामले में कमजोरी और अवसाद एक दूसरे से जुड़े हुए हो सकते हैं, इससे यह माना जा सकता है कि दंपतियों में सक्रियता बढ़ाने, सामाजिकता बढ़ाने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।