शंख का महत्व आखिर क्या है हिंदू धर्म में

हिंदू मान्यताओं में कई ऐसी मान्यताऐं हैं जिन पर सदियों से अमल किया जाता है। दरअसल हिंदू धर्म वैज्ञानिक आधारों को अपने में समाहित किए हुए है। जो भी प्राचीन और सनातन मान्यताओं में वर्णित है वह प्रकृति के अनुकूल और विज्ञान सम्मान है। मगर वर्तमान में हम इसके वैज्ञानिक पक्ष पर न जाते हुए केवल रूढ़ी और धार्मिक पक्ष को ही अपनाते हैं जिसके कारण हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।

 

कई ऐसी मान्यताऐं हैं जिन्हें अपनाकर हम जीवन का लाभ ले सकते हैं। इन मान्यताओं में शंख को संध्या समय आरती में फूंकना और शंखनाद को बेहद पवित्र मानना शामिल है। दरअसल शंख समुद्र से पाया जाता है। अलग अलग तरह के आकार के शंखों का अपना अलग महत्व है लेकिन सभी शंख ईश्वर का आह्वान करने में उपयोग में लिए जाते हैं।

माना जाता है कि शाम के समय शंखनाद करने से वातावरण में मौजूद कीटाणुओं का नाश होता है। शंख की ध्वनि जहां तक सुनाई देती है वहां से कुछ दूरी तक बुरा प्रभाव नहीं रहता। शंख बजाने वाले के स्नायु तंत्र में किसी तरह की गड़बड़ नहीं रहती है। शंख में जलभरकर पूजन में रखने और वह जल घर में छिड़कने से कीटाणुओं का नाश होता है। शंख में कैल्शियम, फाॅस्फोरस, गंधक की मात्रा होती है इसके अंश भी जल में आ जाते हैं। इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य उत्तम हो जाता है। शंख रक्षक होता है। यह शत्रुओं का नाश भी करता है। 

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