दिल्ली में दो बच्चों की मां पृथा तिवारी को अक्तूबर मध्य में कोविड-19 से ठीक होने के बाद विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेने को कहा गया ताकि वे तेजी से तंदुरुस्त हो सकें. सामान्य किस्म के कोविड से दो हफ्ते तक जूझने के बाद 41 साल की यह टीचर अब और दवाइयां नहीं लेना चाहती हैं. इसके बजाय उन्होंने अपने शरीर को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लिया है. वे कहती हैं, “एक मित्र के सुझाव पर मैंने ओजोन थेरपी का सहारा लिया क्योंकि मैं बहुत कमजोर थी. मैंने जब इसके बारे में पढ़ा तो पाया कि कोविड उपरांत चिकित्सा में इसका उपयोग पहले से हो रहा है. इसके पांच सेशन के बाद मुझे अच्छा महसूस होने लगा.” उन्होंने बताया कि थेरपी के साथ मैंने ताजे फल-सब्जियों का सेवन किया और ढेर सारा पानी पिया.
तिवारी कहती हैं, “मेरा इलाज करने वाले डॉक्टर इस पर नाराज हो गए कि मैंने उनकी लिखी दवाएं नहीं लीं. लेकिन मैं अपने शरीर में और ज्यादा केमिकल नहीं डालना चाहती थी, खासकर जब मुझे उसकी जरूरत ही नहीं है. ओजोन ज्यादा सस्ती है और कुछ ही दिनों में मैं इससे खुद को ऊर्जावान महसूस करने लगी.” कोविड महामारी का इलाज अभी तक नहीं आया है इसलिए अनेक लोग वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर प्राकृतिक उपचार की ओर बढ़ रहे हैं और भारत में 18 साल पहले शुरू हुई ओजोन थेरपी इनमें से ही एक है. इसमें गैस का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें ज्यादातर ऑक्सीजन और थोड़ी मात्रा में ओजोन होती है. मरीजों को पहले से तैयार यह उपचार दिया जाता है जिससे रक्त संचार, मेटाबोलिज्म और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है. करीब 2,800 डॉक्टर अभी देश में इस थेरपी का इस्तेमाल मरीजों पर कर रहे हैं और उपचार का यह तरीका धीरे-धीरे प्रचलन में आ रहा है.
एम्स दिल्ली में कॉर्डियोलॉजी के हेड और डीन एकेडेमिक्स डॉ. वी.के. बहल कहते हैं, “आमतौर पर कोविड के लक्षणों से मरीज अपने बलबूते ही उबरते हैं. कुछ लोगों में लंबे समय का नुक्सान हो जाता है और उन्हें उसी के मुताबिक उपचार की जरूरत होती है. अभी कोई भी इलाज इसमें कारगर नहीं है. लिहाजा हर किसी को उबरने की अपनी योजना बनानी होती है और चाहे ऐलोपैथिक हो या नेचरोपैथिक किसी में भी सौ प्रतिशत गारंटी नहीं है, हर किसी को कोविड उपचार के विज्ञान को समझना पड़ता है. कई बातों को दिमाग में रखना पड़ता है. डॉक्टर की निगरानी में ही कोविड का बेहतर इलाज मुमकिन है.”