वैज्ञानिकों ने बंदरों में विकसित कराई कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता…

चीन (China) नोवेल कोरोना वायरस कोविड-19 (Novel Coronavirus Covid-19) की वैक्सीन (Vaccine) बनाने के लिए बंदरों (monkeys) पर प्रयोग कर रहा है. चीन के वैज्ञानिकों का बंदरों पर किया प्रयोग सफल रहता है तो कोरोना वायरस की वैक्सीन मिल जाएगी. चीन के वैज्ञानिकों का ये प्रयोग फिलहाल जारी है.

इस प्रयोग में चीन के वैज्ञानिकों ने कुछ बंदरों को कोरोना वायरस से संक्रमित किया है. संक्रमित किए गए बंदरों के ठीक होने पर उनके भीतर वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा हो जाएगी, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने के काम आएगी.

हालांकि वैज्ञानिक इसमें एक दिक्कत बता रहे हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि जानवरों में कोरोना वायरस का संक्रमण आंखों के जरिये भी फैलता है. अगर ऐसा है तो कोराना वायरस के संक्रमण में मास्क भी काम नहीं करेगा. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के वैक्सीन बनाने को लेकर एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. खासकर अमेरिका और चीन के वैज्ञानिक दिनरात वैक्सीन की खोज में लगे हैं.

पिछले दिनों देखा गया है कि कोरोना वायरस के जिन मरीजों को ठीक होने के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया, वो दोबारा से संक्रमित हो गए और फिर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा. हालांकि दोबारा संक्रमण के केस कम सामने आए हैं.

चीन की एक वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन में 0.1 फीसदी से लेकर 1 फीसदी तक दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं. लेकिन चीन के कुछ हिस्सों, मसलन गुआंगडॉन्ग में 14 फीसदी तक दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं. वैज्ञानिक बता रहे हैं कि अगर एक मरीज में वायरस का दोबारा संक्रमण होता है तो फिर वैक्सीन कामयाब नहीं होगी.

हालांकि चीन के वैज्ञानिक बंदरों पर जिस तरह का प्रयोग कर रहे हैं अगर वो कामयाब हो जाते हैं तो दोबारा संक्रमण का डर भी खत्म हो जाएगा. रिसर्च टीम का हिस्सा रहे प्रोफेसर किन चुआन के मुताबिक कुछ बंदरों को कोरोना वायरस से संक्रमित किया गया. देखा गया कि तीन दिनों के बाद बंदर बीमार होने लगे. उन्हें बुखार हो गया. सांस लेने मे तकलीफ होने लगी. उनके खाने की क्षमता और वजन भी कम हो गया.कुछ बंदर वायरस के संक्रमण से रिकवर कर गए
7वें दिन प्रोफेसर किन चुआन ने देखा कि एक बंदर के पूरे शरीर में वायरस का संक्रमण फैल गया है. उसके लंग के टिश्यू तक को नुकसान पहुंचा था. लेकिन बाकी बंदर धीरे-धीरे बीमारी से रिकवर करने लगे. उनमें वायरस के लक्षण भी धीरे-धीरे खत्म होने लगे.

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