वृंदावन के निधिवन में शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता

ये कहानी उस रात की है, जिस रात में आंखें खोलना मना है. क्योंकि इस रात एक खास इलाके में जो कुछ होता है, उसे देखने की इजाजत किसी को नहीं है. ये सिलसिला सदियों पुराना है. मगर रात के इस राज का गवाह आज तक कोई नहीं बन पाया. ऐसा नहीं है कि लोगों ने पता करने की कोशिश नहीं की. पर ये राज जिसने भी जाना वो इसकी हकीकत दूसरों को बताने के लिए ज़िंदा ही नहीं रहा.

हम बात कर रहे हैं, वृंदावन के निधिवन की. जहां से जुड़ी है लाखों भक्तों की श्रृद्धा. जिन्हें यहां के बारे में जानकारी नहीं है, वो नहीं जानते है कि यहां के जंगल के बारे में कितनी कहानियां प्रचलित हैं. किस तरह के किस्से यहां मशहूर हैं. क्यों यहां एक खास रात में जाने के लिए मना किया जाता है. वो कौन सा रहस्य है, जिसकी वजह से ये जगह एक रहस्मयी बन चुकी है.

तो आखिर ऐसा क्या होता है उस रात में, जिसे देखना मना है? आज इंसान जमीन पर बैठे बैठे पूरा ब्रह्मांड देख सकता है. मगर जिस इलाके की बात हम कर रहे हैं वहां कोई भी इंसान वो खास रात चाह कर भी नहीं देख सकता. क्योंकि यहां कौन, कब, क्या देख सकता है ये इंसान नहीं, भगवान तय करते हैं और इसीलिये इस इलाके में जाने वाले रात तो रात, दिन के उजाले में भी अपने कदम फूंक-फूंक कर रखते हैं.

इंसानी ज़ेहन या इंसानी यकीन को तो डगमगाया जा सकता है. उसे मजबूर किया जा सकता है किसी दास्तान पर यकीन करने के लिये मगर जानवरों पर किसी का बस नहीं चलता. वो वही करते हैं जो उन्हें करना होता है. फिर आखिर क्या वजह है कि इस इलाके के तमाम जानवर भी शाम होते होते अपना ठिकाना बदल लेते हैं.

दरअसल, निधिवन का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया. जिसकी कहानी जुड़ी है भगवान कृष्ण से. कई धार्मिक जानकार मानते हैं कि इस जंगल में भगवान कृष्ण का वास है. इसलिए हर कोई यहां कि मिट्टी को सरमाथे लगाना चाहता है. ये वो जगह है, जहां आकर विज्ञान भी रुक जाता है. बचती है तो सिर्फ भक्ती और श्रृद्धा. जिसमें सरोबार होकर कान्हा के भक्त खो जाना चाहते हैं.

निधिवन के नाम से पहचानी जाने वाली इस जगह को लेकर कई ऐसी मान्याताऐं हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है. जानिए निधिवन की मान्यताओं और उससे जुड़ी रोचक कहानियों के बारे में.

निधिवन में मौजूद पंडित और महंत बताते हैं कि हर रात भगवान श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है, दातून और पानी का लोटा रखा जाता हैं. जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते हैं तो लोटे का पानी खाली, दातून गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता है.

पौराणिक मान्यता है कि निधिवन बंद होने के बाद भी यदि कोई छिपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता हैं. मंदिर के महंत और आसपास के लोग इससे जुड़े कई किस्से सुनाते हैं. दावा ये भी किया जाता है कि वहां मौजूद पशु-पक्षी भी शाम होते ही, वन छोड़ देते हैं.

निधिवन में मौजूद पेड़ भी अपनी तरह के बेहद खास हैं. जहां आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है, वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की और बढ़ती हैं बढ़ती हैं. इन पेड़ों की स्थि‍त ऐसी है कि रास्ता बनाने के लिए उनकी शाखाओं को डंडों के सहारे फैलने से रोका गया है.

ऐसी मान्यता है कि जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता है. इसी कारण निधिवन के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं. कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद करा दिया है. आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता.

निधिवन में ही ठा. बिहारी जी महाराज का दर्शन स्थल है. मान्यता है कि संगीत सम्राट और ध्रुपद के जनक स्वामी हरिदास भजन गाया करते थे. माना जाता है कि बांके बिहारी जी ने उनकी भक्ति संगीत से प्रसन्न होकर एक सपना दिया. सपने में कहा कि मैं तुम्हारी साधना स्थल में ही विशाखा कुंड के पास जमीन में छिपा हूं. सपने के बाद हरिदास जी ने अपने शिष्यों की मदद से बिहारी जी को निकलवाया और मंदिर की स्थापना की थी.

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