विश्व बैंक की चौंकाने वाली रिपोर्ट, जलवायु परिवर्तन की जद में देश की 60 करोड़ आबादी!!

जलवायु परिवर्तन से भारत के जीवन स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर देश के मध्य, उत्तर और उत्तर-पश्चिम राज्यों पर पड़ेगा। विश्व बैंक के मुताबिक, वर्ष 2050 तक यह गिरावट अधिकतम दस फीसद तक हो सकती है। इसकी चपेट में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले राज्य होंगे। इसके चलते कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ का कहर होगा, जिससे जन जीवन के प्रभावित होने की आशंका है।

विश्व बैंक ने भारत सहित दक्षिण एशिया के जलवायु परिवर्तन को लेकर जारी रिपोर्ट में यह बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव का असर भारत के जीडीपी पर पड़ेगा, जिसमें औसतन 2.8 फीसद तक की गिरावट दर्ज हो सकती है। इससे भारत का सामाजिक-आर्थिक तानाबाना भी प्रभावित होगा। इसके चलते देश को सूखे या पलायन जैसी स्थितियों का भी समाना करना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इसका असर देश की करीब 60 करोड़ आबादी पर पड़ेगा। वहीं इसकी सबसे ज्यादा मार कृषिष क्षेत्र पर पड़ेगी, जिसकी उत्पादकता में काफी गिरावट आ सकती है। स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।

इसकी चपेट में आने वाले दस सबसे प्रभावित जिलों में महाराष्ट्र के सात, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव व दुर्ग और मध्य प्रदेश का होशंगाबाद होगा। यह सभी जिले अगले 32 सालों में देश के सबसे गरम स्थान होंगे। विश्व बैंक ने भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों को इसे लेकर उस समय सतर्क किया है, जब अकेले भारत के तापमान में सालाना डेढ़ से दो डिग्री तक की बढ़ोतरी हो रही है।

वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में भी इस बात पर चिंता जताई जा चुकी है। ऐसे में यदि इन बदलावों से बचाव के उपाय नहीं किए गए तो तापमान का यह स्तर 2050 तक आते–आते डेढ़ से तीन डिग्री तक बढ़ सकता है।

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