आज से सावन का महीना शुरू हो रहा है और इस महीने में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं शिवलिंग की पूजा अच्छा और मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं और इस महीने में व्रत भी रखती हैं.
पंडित विनोद मिश्र के अनुसार शिवलिंग की पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह है कि महिलाओं को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को हाथ नहीं लगाना चाहिए. यहां तक कि शिवलिंग की पूजा का ख्याल करना भी उनके लिए निषेध है. ऐसी मान्यता है कि लिंगम एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की रचनात्मक ऊर्जा है) का प्रतिनिधित्व करता है.
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विनोद मिश्र के अनुसार इसलिए स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं. देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए इसलिए महिलाओं को शिवलिंग की पूजा न करने के लिए कहा गया है. जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं.
इसके अलावा महिलाओं का शिवलिंग को छूकर पूजा करना मां पार्वती को भी पसंद नहीं है. मां पार्वती इससे नाराज हो सकती हैं और पूजा करने वाली महिलाओं पर इस तरह की गई पूजा का विपरीत असर हो सकता है.
महिलाओं को शिव की पूजा मूर्ति रूप में करनी चाहिए. खासताैर से पूरे शिव परिवार की पूजा उनके लिए विशेष लाभकारी है.