कोरोना वायरस के खिलाफ भारत ने दो वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है। हालांकि कोविशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और कोवैक्सीन की भारत बायोटेक के बीच तकरार देखने को मिली। हालांकि अब दोनों कंपनियों ने अपने बीच जारी विवाद को खत्म करके संयुक्त बयान जारी करने का फैसला लिया है। इसकी जानकारी एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने मंगलवार को दी।
पूनावाला ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं दो बातों को साफ करना चाहता हूं। पहला कि वैक्सीन का निर्यात किसी भी देश में किया जा सकता है। दूसरा कि भारत बायोटेक के संबंध में हाल में हुई किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए एसआईआई और भारत बायोटेक मिलकर एक संयुक्त सार्वजनिक बयान जारी करेंगे।’
दरअसल, एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने रविवार को टीवी पर दिए साक्षात्कार में कहा था कि केवल तीन वैक्सीन प्रभावकारी साबित हुई हैं- फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका और बाकी सिर्फ ‘पानी की तरह सुरक्षित’ हैं। इसपर पलटवार करते हुए भारत बायोटेक के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. कृष्णा इल्ला ने सोमवार को कहा, ‘हमने 200 प्रतिशत ईमानदार नैदानिक परीक्षण किए हैं और फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। यदि मैं गलत हूं तो हमें बताएं। कुछ कंपनियों ने हमें (हमारे टीके को) ‘पानी’ की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। कोवैक्सीन बैकअप नहीं है। कुछ लोगों के जरिए वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।’
एसआईआई और भारत बायोटेक के विवाद में राजनेता भी कूद गए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बायोटेक और एसआईआई की बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री से दखल की मांग की है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने पूछा कि ऐसा कौन है जो इस वैक्सीन को लगवाएगा जिसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।