गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने तरीके से वोटबैंक मजबूत करने में लगी है। कांग्रेस जहां आदिवासी यात्रा निकाल रही है वहीं भाजपा विधानसभा में पारित गौरक्षा कानून का जश्न मनाकर अपने मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास करेगी।
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राज्य सरकार के खिलाफ बीते दो साल से चल रहे विविध आंदोलनों के चलते राजनीतिक अस्थिरता का सा माहौल बन गया था जिसके चलते ही तत्कालीन मुख्य मंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी गंवानी पडी तथा विजय रुपाणी सीएम की कुर्सी पर आसीन हुए।
मध्यावधि चुनावों की अटकलें समाप्त होने के साथ ही अब भाजपा व कांग्रेस दोनों ही अपने अपने तरीके से वोटबैंक को धार लगाने में जुट गय हैं।
कांग्रेस अपने परंपरागत आदिवासी वोट बैंक को टटोलना शुरू कर दिया है, कांग्रेस अंबाजी से उमरपाडा तक आदिवासी यात्रा निकालने के बाद एक बार फिर आदिवासियों को लुभाने के लिए सोमवार से अंबाजी से आदिवासी यात्रा शुरू कर रही है।
भाजपा भी हिन्दुत्व व गौरक्षा के मुद्दे को जीवित रखने के लिए विधानसभा में पारित गौरक्षा कानून के लिए जश्नह की तैयारियां कर रही है। भाजपा राज्यभर में तीन दिन तक विजय विश्वास सम्मेलन व कार्यकर्ता जनसंपर्क कार्यक्रम करेगी ताकि अपने वोटबेंक को फिर से साधा जा सके।
गौरतलब है कि ऊना में गाय का चमडा उतारने के मामले में 4 दलित युवकों की नृशंस पिटाई के चलते निचले व दलित तबके में भाजपा सरकार को लेकर रोष व्याप्त था।
इस घटना के बाद गौरक्षा कानून सदन से पारित कर भाजपा ने एक बार फिर हिन्दुत्ववादी एजेंडे पर अमल की तैयारी कर दी है, उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं देकर भाजपा ने जो जीत हासिल की है वहीं फार्मूला अब पार्टी गुजरात में अपना सकती है।