देश की शीर्ष पूंजी बाजार नियामक ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’ (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि बड़ी संख्या में विदेशी निवेशकों द्वारा हाथ पीछे खींचने के पीछे केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी। सेबी ने कहा कि पिछले वर्ष की आखिरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी संस्थागत निवेश देश से बाहर गया, लेकिन इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अहम घटनाएं भी घटीं।
सेबी के चेयरमैन यू. के. सिन्हा ने यहां आयोजित एक संगोष्ठि में अमेरिक में हुए राष्ट्रपति चुनाव और फेड दरों में वृद्धि जैसे वैश्विक महत्व की घटनाओं का संदर्भ दिया।
उन्होंने कहा कि इसके विश्लेषण में समय लगेगा कि नोटबंदी से विदेशी संस्थागत निवेश का जाना कितना प्रभावित रहा। गौरतलब है कि मौजूदा वित्त-वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान 11 अरब डॉलर का विदेशी संस्थागत निवेश भारत से बाहर गया।