UP: वसीम रिजवी का फॉर्मूला मुस्लिम पक्षकारों को नहीं आया पसंद, इकबाल अंसारी ने छोड़ी बैठक
UP: वसीम रिजवी का फॉर्मूला मुस्लिम पक्षकारों को नहीं आया पसंद, इकबाल अंसारी ने छोड़ी बैठक

UP: वसीम रिजवी का फॉर्मूला मुस्लिम पक्षकारों को नहीं आया पसंद, इकबाल अंसारी ने छोड़ी बैठक

लखनऊ. अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद को आपसी सुलह से निपटाने के लिए रविवार को निर्वाणी अखाड़ा के संकट मोचन हनुमानगढ़ी मंदिर पर बैठक हुई। इसमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास, दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास और बाबरी मस्जिद के मुद्दई मो. इकबाल अंसारी ने इस बैठक में हिस्सा लिया।UP: वसीम रिजवी का फॉर्मूला मुस्लिम पक्षकारों को नहीं आया पसंद, इकबाल अंसारी ने छोड़ी बैठक

इकबाल अंसारी बैठक छोड़कर बाहर आ गए…

बंद कमरे में चल रही बातचीत के दौरान इकबाल अंसारी नाराज होकर कमरे से बाहर आ गए। उनकी नाराजगी वसीम रिजवी से थी। उन्होंने कहा, “उन्हें वसीम का फॉर्मूला मंजूर नहीं है। वे राजनीति कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे महंत नरेंद्र गिरि की बात मानेंगे और वो पूरी तरीके से सहमत हैं।”

वसीम रिजवी पर लगाए आरोप

-बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, “हम लोग इस बात पर नाराज हुए कि सुन्नियों का न मस्जिद है, न मकान है ना दुकान, किसी भी चीजों में कोई हिस्सेदारी नहीं है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए वो उल्टी बात करते हैं। ” वसीम रिजवी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा- “हम जबरदस्ती मंदिर बनाएंगे। तुम्हारी कोई जरुरत नहीं हैं। अगर तुम रहना चाहो, तो रहो। तुम्हारा इसमें कोई मतलब नहीं हैं।”

बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला: सुरेश दास, महंत, दिगंबर अखाड़ा

– दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास नेभी ने दावा किया कि, “इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। लिहाजा इस फॉर्मूले का कोई मतलब नहीं है।”

5 दिसंबर से पहले SC को सौपेंगे ड्राफ्ट

 बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा, “आपसी सुलह से मंदिर-मस्जिद का विवाद हल कर लिया जाए, ताकि दोनों समुदायों के बीच कोई झगड़ा- फसाद ना हो। ऐसी मंशा सुप्रीम कोर्ट की भी है,इसलिए केवल पक्षकारों के बीच सुलह की बात तय होनी है।

– “इसका पॉजिटिव रिजल्ट आने लगे हैं। 5 दिसम्बर से पहले सुप्रीम कोर्ट में सुलह का मसौदा पेश कर दिया जाएगा। इससे पहले 15 नवंबर को मंदिर-मस्जिद के सभी पक्षकारों से वार्ता करने के लिए एक बैठक दिल्ली में बुलाई जाएगी।”

बातचीत से दूर करेंगे नाराजगी: नरेन्द्र गिरी

– बातचीत के बीच उठकर चले जाने वाले मो. इकबाल अंसारी के सवाल पर नरेन्द्र गिरी ने कहा, “उनका विवाद शिया-सुन्नी मसले को लेकर वसीम अंसारी से हुआ था। उनकी नाराजगी आपसी बातचीत से दूर कर ली जाएगी।”

राम मंदिर को लेकर की थी मुलाकात

-शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। 20 मिनट के मुलाकात के बाद रिजवी ने मीडिया से कहा, ”मैंने राम मंदिर बनाने को लेकर मुलाकात की है। जिस स्थान पर मंदिर है, वहां मंदिर ही बनेगा। मस्जिद किसी मंदिर को गिराकर नहीं बनाई जा सकती, इसलिए उसे अयोध्या से बाहर या दूर किसी मुस्लिम क्षेत्र में बनाने पर हमने बात की है।मैं सभी पक्षकारों से बात कर रहा हूं। सभी ने करीब-करीब मंदिर पर सहमति दे दी है। ”

पक्षकारों ने जताई थी नाराजगी

-शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की सीएम योगी से मुलाकात के बाद कई पक्षकारों ने नाराजगी जताई थी। एक मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने अपनी बात रखते हुए कहा था।

– “घोटालेबाज वसीम रिजवी की औकात ही नहीं वह इस विवाद में अपनी बात रखेंगे।”

सितम्बर में की थी हिन्दू पक्षकारों से मुलाकात

-सितम्बर में वसीम रिजवी ने अयोध्या का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पक्षकार दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास से मुलाकात की थी।

अब तक ये 4 फॉर्मूले सामने आए…

1) इलाहाबाद हाईकोर्ट

-30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।

ये तीन पक्ष:

– निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।

– रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।

– सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।

2) सुप्रीम कोर्ट

– मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा होना चाहिए। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे।”

3) सुब्रमण्यम स्वामी

– मार्च में सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड पर दिए बयान में स्वामी ने कहा था, “मंदिर और मस्जिद दोनों बननी चाहिए। मसला हल होना चाहिए। मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बनना चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां अभी वो है। राम जन्मभूमि तो पूरी तरह राम मंदिर के लिए ही है। हम राम का जन्मस्थल तो नहीं बदल सकते। सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में मस्जिद का मतलब होता है, वो जगह यहां नमाज अदा की जाए और ये काम कहीं भी हो सकता है।”

4) शिया वक्फ बोर्ड

– 8 अगस्त 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है, जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।”

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