वर्जीनिया में जबरन मजदूरी कराने के मामले में भारतीय मूल के दंपति को दोषी ठहराया गया

अमेरिका में एक भारतीय मूल के सिख दंपति को एक रिलेटिव को अपने स्टोर पर लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करने, वर्षों तक शारीरिक शोषण व धमकियां देने और उसके इमिग्रेशन दस्तावेजों को जब्त करने के लिए दोषी ठहराया गया है। रिचमंड (वर्जीनिया) के हरमनप्रीत सिंह (30) और कुलबीर कौर (43) ने पीड़ित को स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद करने के झूठे वादे के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने के लिए फुसलाया।

सोमवार को न्याय विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि उसके अमेरिका पहुंचने के बाद उन्होंने पीड़ित के इमिग्रेशन दस्तावेज ले लिए और तुरंत उसे काम पर रख लिया। तीन अलग-अलग मौकों पर उन्होंने पीड़ित, सिंह के कजिन को एक दिन की छुट्टी लेने की कोशिश करने और जाने की कोशिश करने पर रिवॉल्वर से धमकाया।

दो सप्ताह तक चले मुकदमे के बाद वर्जीनिया के पूर्वी जिले में एक संघीय जूरी ने शुक्रवार को दंपति को उत्तरी चेस्टरफील्ड में एक गैस स्टेशन और सुविधा स्टोर के संचालन के संबंध में जबरन काम कराने, वित्तीय लाभ के लिए शरण देने और दस्तावेज़ जब्त करने का दोषी ठहराया।

मुकदमे में पेश किए गए सबूतों से पता चला कि मार्च 2018 और मई 2021 के बीच दंपति ने पीड़ित को अपने स्टोर पर कैशियर के रूप में काम करने, खाना तैयार करने, सफाई करने और स्टोर रिकॉर्ड प्रबंधित करने सहित श्रम और सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूर किया।

सिंह और कौर ने विभिन्न बलपूर्वक तरीकों का इस्तेमाल किया, जिसमें पीड़ित के इमिग्रेशन दस्तावेजों को जब्त करना, उसका शारीरिक शोषण करना और धमकियां देना शामिल था। इसके अलावा पीड़ित को कभी-कभी न्यूनतम वेतन पर लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करना भी शामिल था।

वर्जीनिया के पूर्वी जिले के लिए अमेरिकी अटॉर्नी जेसिका डी अबर ने कहा, “ये प्रतिवादी एक गंभीर प्रलोभन में लगे हुए थे। उन्होंने पीड़ित को संयुक्त राज्य अमेरिका में शिक्षा के झूठे वादे का लालच दिया और इसके बजाय उसे घंटों काम, अपमानजनक रहने की स्थिति और मानसिक और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ा।”

जूरी ने सुना कि पीड़ित को कई मौकों पर कई दिनों तक स्टोर के बैक ऑफिस में सोने के लिए छोड़ दिया गया था। दंपति ने भोजन तक उसकी पहुंच सीमित कर दी। उन्होंने चिकित्सा देखभाल या शिक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया, और दुकान व घर दोनों जगह पीड़ित की निगरानी के लिए निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया।

इसके अलावा, उन्होंने भारत लौटने के उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उसे अपने वीजा की अवधि से अधिक समय तक रुकने पर मजबूर कर दिया। सबूतों से यह भी पता चला कि जब पीड़ित ने अपने इमिग्रेशन दस्तावेज वापस मांगे और जाने की कोशिश की तो सिंह ने उसके बाल खींचे, उसे थप्पड़ मारा और लात मारी।

न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल क्रिस्टन क्लार्क ने कहा, “प्रतिवादियों ने पीड़ित के विश्वास और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्कूल जाने की उसकी इच्छा का शोषण किया। फिर उसके खिलाफ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, यह सब इसलिए किया कि वे उसे अपने लाभ के लिए काम पर रख सकें।”

मानव तस्करी एक शर्मनाक और अस्वीकार्य अपराध है, और इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि न्याय विभाग मानव तस्करों को जवाबदेह ठहराने और उनके पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इन मामलों की जांच करेगा और सख्ती से मुकदमा चलाएगा।

सिंह और कौर को अधिकतम 20 साल की जेल से लेकर पांच साल तक की पर्यवेक्षित रिहाई, 250,000 डॉलर तक का जुर्माना और जबरन श्रम के आरोप के लिए अनिवार्य क्षतिपूर्ति का सामना करना पड़ सकता है। दंपति की सजा पर सुनवाई 8 मई को होनी है।

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