कहा जाता है कि सार्वजनिक जीवन में अपने विपक्षी पर वार एक मर्यादा में ही किया जाता है. लेकिन ऐसा लगता है कि भारतीय राजनीति में इस नियम का पालन नहीं होता है. पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनेता एक दूसरे पर वार-प्रतिवार में शायद सबकुछ भूल गए हैं. इन दिनों भारतीय राजनीति का केंद्र एक ‘कुत्ता’ बना हुआ है. उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान ‘गधा’ प्रचलित हुआ था और गुजरात चुनाव से पहले जंग ‘कुत्ते’ पर हो रही है.
राहुल गांधी के पालतू ‘कुत्ते’ पीडी का वीडियो आने के बाद ही इस पर चर्चा हो रही है. बीजेपी की ओर से भी राहुल को पोस्टर जारी कर राहुल को ‘पीडीमैन’ बना दिया. यह पहली बार नहीं है कि राजनीति में ‘कुत्ता’ शब्द का प्रयोग हुआ हो. अभी हाल ही में कुछ समय पहले लोकसभा में चर्चा के दौरान ये शब्द चर्चा में आया था.
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर वार करते हुए कहा था, ” देश की एकता के लिए गांधी जी ने कुर्बानी दी, इंदिरा जी ने कुर्बानी दी, आपके घर से कौन गया? एक कुत्ता भी नहीं गया.”
खड़गे के इस तंज का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ही अंदाज में दिया था. मोदी ने कहा था, ” ‘चंपारण सत्याग्रह शताब्दी का वर्ष है. इतिहास किताबों में रहे तो समाज को प्रेरणा नहीं देता. हर युग में इतिहास को जानने और जीने का प्रयास जरूरी होता है. उस समय हम थे या नहीं थे? हमारे कुत्ते भी थे या नहीं थे?…औरों के कुत्ते हो सकते हैं…हम कुत्तों वाली परंपरा में पले-बढ़े नहीं हैं.”
खड़गे की इस टिप्पणी का सत्ता पक्ष के लोगों ने विरोध किया था. खुद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी इस तरह की टिप्पणी से बचने को कहा था लेकिन पीएम मोदी ने इसका जवाब अपने ही अंदाज में दिया था.
गौरतलब है कि राहुल गांधी के इस पीडी ट्वीट के बाद से ही राजनीतिक माहौल गर्म है. दोनों दल इस मुद्दे पर एक दूसरे को घेरने में लगे हुए हैं, जाहिर है आने वाले समय में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार में भी इस मुद्दे को सुना जा सकता है.