लेफ्टिनेंट फैयाज से अपनों ने ही किया छल, जिनके साथ वो हुए बड़े

ब्लैकमेल, धोखा और क्रूरता…ये तीन शब्द कश्मीर में लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या के पीछे आतंकवादियों के कायरना चेहरे को बयां करते हैं. गांव वालों को फैयाज का गोलियों से छलनी शव बुधवार तड़के मिला था. एक दिन पहले ही आतंकवादियों ने शोपियां इलाके के सुरसेना गांव से फैयाज को अगवा कर लिया था. फैयाज रिश्तेदार की शादी में शरीक होने के लिए आए हुए थे. 2 RAJRIF के ऑफिसर फैयाज छुट्टी पर घर आए थे. उनका एक महीने बाद ही जन्मदिन था. फैयाज ने रोल मॉडल की तरह कुछ युवाओं को सशस्त्र सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था.

लेफ्टिनेंट फैयाज से अपनों ने ही किया छल, जिनके साथ वो हुए बड़ेराजपूताना राइफल्स के कमांडेंट ब्रिगेडियर आदीश यादव ने कहा कि आतंकवादी बौखलाए हुए हैं इसी वजह से शायद उन्होंने युवा ऑफिसर को अगवा करने के बाद हत्या की. आतंकवादी, अलगाववादी और पाकिस्तान परस्तों की कुछ भी कर ये दिखाने की कोशिश रही है कि पूरी कश्मीर घाटी भारत के खिलाफ दिखाई दे. लेकिन 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट फैयाज भारतीय सेना का हिस्सा थे, जो कि अपने आप में भारत विरोधी तत्वों के मंसूबों के लिए करारी शिकस्त था.

राजपूताना राइफल्स की दूसरी बटालियन के ऑफिसर फैयाज छुट्टी लेकर दक्षिण कश्मीर में रिश्तेदार की शादी में हिस्सा लेने के लिए कुलगाम कस्बे में अपने घर गए थे. फैयाज के इंस्ट्रक्टर और कंपनी कमांडर मेजर युवराज कादयान ने बताया- “उसे घर जाने को लेकर किसी तरह का डर नहीं था. वो सभी लड़कों को जानता था. सभी एक साथ बड़े हुए थे. उसकी शख्सियत ही इतनी प्रभावी थी कि इलाके के कुछ युवा भी उसी के जैसा बनना चाहते थे. उसने उनके बारे में हमें बताया था. हमने उसके साथ दक्षिण कश्मीर के हालात को लेकर बात की थी. लेकिन उसे पूरा भरोसा था कि जल्दी ही स्थिति सामान्य हो जाएगी.”फैयाज की लोकप्रियता जहां आतंकवादियों की आंखों में चुभ रही थी, वहीं ये उनके नापाक इरादों पर भी तमाचा थी. कथित तौर पर फैयाज की पीठ में उनके कुछ जानने वालों ने ही छुरा घोंपा. पुलिस सूत्र घाटी में किस तरह ये घटनाक्रम हुआ, उसकी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. स्थानीय हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों को पता चला कि लेफ्टिनेंट फैयाज घर आए हुए हैं.

पुलिस सूत्रों ने बताया, “तीन आतंकवादी शोपियां में लेफ्टिनेंट फैयाज के रिश्तेदार के घर में घुसे. उस वक्त फैयाज अपनी रिश्तेदार के साथ थे, जिसकी शादी होने जा रही थी. आतंकी घर के पहले माले पर स्थित कमरे से फैयाज को नीचे ले आए. जो जानकारी हमारे पास है उसके मुताबिक हथियारों से लैस आतंकियों का एक और गुट दूल्हे को धमका रहा था.”

“युवा लेफ्टिनेंट फैयाज नहीं चाहते थे कि दुल्हन, दूल्हे या उनके रिश्तेदारों के लिए कोई परेशानी खड़ी हो इसीलिए वो आतंकियों के साथ चले गए. परिवार ने तत्काल पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी. उन्होंने सोचा कि आतंकवादी या तो फैयाज को धमकाएंगे या मारपीट करेंगे लेकिन बाद में उन्हें घर आने देंगे.” “जिस जगह से फैयाज को अगवा किया गया वहां से सेना की चौकी महज एक किलोमीटर दूरी पर स्थित थी.”

एक अधिकारी ने कहा कि अगर परिवार या रिश्तेदारों ने तत्काल जानकारी दी होती तो लेफ्टिनेंट फैयाज को बचाया जा सकता था. हम ऑपरेशन शुरू कर सकते थे क्योंकि कुछ लड़के स्थानीय थे जिन्हें गांववाले पहचानते थे.

आतंकवादियों का मकसद लगता है इस घटना के जरिए गांववालों को भयभीत करना था. वो नहीं चाहते कि कोई स्थानीय युवा सेना या पुलिस में भर्ती होने के लिए जाए. रेजीमेंटल सेंटर में लेफ्टिनेंट फैयाज के इंस्ट्रक्टर मेजर अवधेश चौधरी ने कहा, “लेकिन उनके इरादे कामयाब नहीं होंगे. स्थानीय लोग धरती के लाल की हत्या को लेकर आतंकियों के खिलाफ बहुत गुस्से में हैं.”

कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि वो फैयाज के सेना अधिकारी होने की जगह यही समझते थे कि वो डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि कुछ लोगों ने उनसे यही कहा कि एक डॉक्टर को आतंकवादियों के अगवा किए जाने से वो हैरान थे.

सेना ने वादा किया है कि शीघ्र ही दोषियों की पहचान कर उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा.

लेफ्टिनेंट फैयाज की शहादत के 24 घंटे बाद ही घाटी से हजारों युवक जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती के लिए कतारों में खड़े दिखे. ये अपने आप में पाकिस्तान और उसकी कठपुतलियों के लिए खुला संदेश है. ऐसा करके ये युवा दिखा रहे हैं कि वो रोजगार और बेहतर जिंदगी जीने के लिए अडिग है और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता.

 

 

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