बता दें कि चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी बांग्लादेश और म्यांमार के दौरे पर हैं, जिन्होंने अपने प्रोपोजल में म्यांमार की ओर से हो रहे सीजफायर पर रोक की मांग उठाई है। उन्होंने रोहिंग्याओं के म्यांमार से जबरन निकलने और बांग्लादेश में घुसने पर चिंता जताई। प्रोपोजल को तीन फेज में बांटा गया है, पहले ये कि ढाका में इसे स्वीकार करे।
चीन का दूसरा कदम यह है कि बांग्लादेश और म्यांमार अपने संबंधों को मजबूत स्थिति में लाएं। वहीं तीसरा यह कि इंटरनेशनल कॉम्युनिटी पिछड़े हुए रखाइन स्टेट को उभरने में मदद करे। हालांकि, चीन ने साफ इनकार कर दिया है कि वो मीडिएटर की भूमिका निभा रहा है, लेकिन चीन दोनों देशों के संबंधों में मजबूती चाहता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक चीन अपने ओबीओआर प्रोजेक्ट में बांग्लादेश और म्यांमार की भागीदारी लंबे समय से चाहता है और ऐसा उसने नेपाल और भारत के साथ भी किया है। लेकिन, नेपाल के पीछे कदम करने से उसकी मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। करीब 3 साल पहले म्यांमार ने भी एक डेम प्रोजेक्ट से खुद को पीछे कर लिया था।