रोचक : प्रकृति के अनुकूल 770 वर्ग फीट में बना मिट्टी का घर

हम में से ऐसे कई लोग होंगे, जो प्रकृति के बिल्कुल करीब रहना चाहते हैं। लेकिन विकास की तेज रफ्तार में भौतिक सुविधाओं की आवश्यकता की वजह से लोग प्रकृति से बहुत दूर हो गए हैं। इसी बीच बेंगलुरु के एक दंपति ने ऐसा घर बनाया है, जो प्रकृति के अनुकूल है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस घर में ना ही बल्ब और ना ही पंखा है।

दरअसल, यह रोचक कहानी रंजन और रेवा मलिक की है। इस युगल ने रहने के लिए ऐसा घर बनाया है, जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस घर में हर सुबह धूप और मौसम की ताजा स्थिति ये तय करती है कि उनके सोलर कुकर में आज क्या बनेगा। अगर धूप तेज होती है, तो रेवा मलिक बाजरे से कोई डिश बनाती हैं। आपको बता दें कि इस घर में पर्याप्त क्रॉस वेंटिलेशन की सुविधा है, जिससे तापमान हमेशा सामान्य रहता है।

करीब 770 वर्ग फीट के एरिया में इस घर को मिट्टी से बनाया गया है। घर के नींव में भी मड कंक्रीट इस्तेमाल किया गया है। जरूरत के हिसाब से स्टील का भी इस्तेमाल किया गया है। इस घर में एक किचन लिविंग रूम और एक परछत्ती है। छत टेराकोटा टाइल से बनी है, जो सर्दियों में गर्म रहती है और गर्मी में ठंडी। बता दें कि छत पर टाइलों को 30 डिग्री के स्लोप पर लगाया है, जिससे गर्मी सीमित करने में मदद मिलती है।

रेवा मलिक बताती हैं कि उनका अधिकांश समय शहर में गुजरा, लेकिव वो प्रकृति के करीब रहना चाहती थी। ऐसे में उन्होंने साल 2018 में अपनी जमीन पर इस इको-फ्रेंडली घर को तैयार किया। बता दें कि वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से रेवा अंडर ग्राउंड टैंक में 10 हजार लीटर पानी जमा कर लेती हैं। वहीं दूसरे टैंक में रीसायकल्ड पानी जमा किया जाता है और इसका इस्तेमाल 40 से अधिक जैविक सब्जियों और फलों की सिंचाई में होता है।

बता दें कि पूरे घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खुली जगह और बड़ी खिड़कियां हैं। सबसे खास बात तो ये है कि युगल ने अभी तक अपने इस घर में कोई पंखा या बल्ब भी नहीं लगाया है। इनकी दिनचर्या भी प्रकृति के अनुकुल है। रंजन और रेवा सूर्योदय होने पर उठ जाते हैं और सू्र्यास्त होने पर सो जाते हैं।

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