रूस ने कोरोना वायरस के खिलाफ पहली वैक्सीन जारी कर दी है. मंगलवार 11 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसका एलान करते हुए दुनिया की पहली वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावकारी बताया. रूस ने इस वैक्सीन को बेहद खास नाम दिया है. दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का दर्जा हासिल करने वाली इस वैक्सीन का नाम ‘स्पुतनिक V’ (Sputnik V) रखा गया है. ये नाम दुनिया के पहले मानव निर्मित उपग्रह (सैटेलाइट) का था, जिसे रूस ने ही लॉन्च किया था.
सबसे पहले सैटेलाइट के बाद सबसे पहली वैक्सीन
कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रही पूरी दुनिया कई महीनों से इसकी वैक्सीन का इंतजार कर रही है. इस बीच रूस ने पहली वैक्सीन बनाने का दावा कर सबको हैरानी में डाल दिया. रूस की इस वैक्सीन पर लगातार संदेह भी जताया जा रहा है.
वहीं इन सबसे अलग, पहली वैक्सीन का दर्जा हासिल करने की उपलब्धि को ध्यान में रखते हुए रूस ने इसे स्पुतनिक V नाम दिया है. यह नाम रूस के उपग्रहों पर आधारित है. अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में पहला कृत्रिम उपग्रह लॉन्च करने का श्रेय भी रूस को ही जाता है. 4 अक्टूबर 1957 को रूस ने दुनिया का पहला सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित किया था
वैक्सीन को खारिज करने के लिए हो रहे मीडिया अटैकः रूस
पहली वैक्सीन बनाने के दावे को और मजबूती देने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनकी बेटी ने इसकी सबसे पहली खुराक ली है और उस पर इसका असर दिखा.
वहीं रूस ने इसकी वैक्सीन पर उठाए जा रहे सवालों की भी निंदा की. रूस के वैक्सीन प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग करने वाले रशियन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने रूसी वैक्सीन को खारिज किए जाने के प्रयासों को चालाकी से चलाया जा रहा मीडिया अटैक बताया.
दिमित्रियेव ने साथ ही दावा किया कि अबतक रूस को 20 देशों से इस वैक्सीन के लगभग एक अरब डोज की मांग मिल चुकी है. उन्होंने साथ ही कहा कि रूस 5 अलग-अलग देशों में हर साल 50 करोड़ डोज निर्मित करने के लिए तैयार है.