रूस के बाद अब चीन ने भी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) कैंडिडेट को मंजूरी दे दी है और पेटेंट करा लिया है. चीनी वैक्सीन कंपनी कैनसाइनो बायलॉजिक्स कॉर्पोरेशन (CanSino) को कोरोना वैक्सीन Ad5-nCOV के पेटेंट के लिए मंज़ूरी मिल गई है. हालांकि, रूसी वैक्सीन की तरह ही इस पर भी आरोप लगा है कि ये मंजूरी फेज-3 ट्रायल्स के नतीजों का इंतजार किए बिना ही दे दी गयी है. इसलिए इसे वैज्ञानिक उपलब्धि के बजाय व्यावसायिक उपलब्धि ही माना जा रहा है.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक कंपनी का दावा है कि यदि कोरोनावायरस महामारी चीन में फैलती है, तो वह बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर सकेगी. पेटेंट ने इस वैक्सीन की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस के दावे को मजबूती दी है. वैसे, इस वैक्सीन को सीमित इस्तेमाल के लिए चीन ने पहले ही मंजूरी दे दी थी. चीनी मिलिट्री के जवानों के लिए कैनसिनो बायोलॉजिक्स की वैक्सीन जून में ही मंजूर हो गई थी.
चीन की बौद्धिक संपदा नियामक संस्था ने 11 अगस्त को कैनसाइनो को वैक्सीन के पेटेंट के लिए मंज़ूरी दी है. ये पहली बार है जब चीन ने कोविड-19 के लिए किसी वैक्सीन को मंज़ूरी दी है.
China grants its 1st #patent for a #COVID19 #vaccine, which can induce strong cellular and humoral immune response in a short period of time and can be produced quickly on a large scale: National Intellectual Property Administration. pic.twitter.com/vdAnBSapwX
— People's Daily, China (@PDChina) August 17, 2020
चीन के सरकारी अखबार ‘पीपुल्स डेली’ ने रविवार को नेशनल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्ट्रेशन के दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट दी कि पेटेंट 11 अगस्त को ही जारी हो गया था. उसी दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी वैक्सीन “Sputnik-V’ को रजिस्टर करने की घोषणा की थी. कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने घोषणा की थी कि वह रूस, ब्राजील और चिली के साथ-साथ सऊदी अरब में फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्स शुरू करेगी. सऊदी अरब में ही इसके लिए पांच हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स आगे आए हैं.
इस वैक्सीन को कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस के साथ मिलकर Ad5-nCOV नाम के एडेनोवायरस को बेस लेकर बनाया है. आम सर्दी-जुकाम के वायरस को मोडिफाई कर नोवल कोरोनावायरस का जेनेटिक मटेरियल उसमें जोड़ा गया है. वॉल्टर ऐंड एलिज़ा हॉल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के प्रोफ़ेसर मार्क पेलेग्रिनी ने ‘द गार्जियन’ अख़बार से कहा, ‘इस पेटेंट की वजह से कोई अब इस वैक्सीन की नक़ल नहीं कर पाएगा लेकिन क्लीनिकल ट्रायल में आगे बढ़ने के लिए पेटेंट का होना कोई अनिवार्य मापदंड नहीं है.’
मेडिकल जर्नल में छपी थी जानकारी
पेलेग्रिनी ने ये ध्यान भी दिलाया कि इस वैक्सीन के बारे में कुछ हफ़्ते पहले मेडिकल जर्नल लैंसेट में ख़बर छपी थी. ये वही वक़्त था जब ऑक्सफ़र्ड समूह ने अपनी वैक्सीन के बारे में जानकारी प्रकाशित की थी. दोनों वैक्सीन में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए एडेनोवयारस (सर्दी और सामान्य संक्रमण पैदा करने वाला वायरस) का इस्तेमाल किया गया है. सऊदी अरब ने इसी महीने कहा था कि वो कैनसाइनो की वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल करने की योजना बना रहा है.
वहीं, कैनसाइनो ने कहा था कि वो तीसरे चरण के ट्रायल के लिए रूस, ब्राज़ील और चिली से भी बात कर रहा है. वैक्सीन को मंज़ूरी मिलने की ख़बर आने के बाद सोमवार सुबह कैनसाइनो का हांगकांग शेयर में 14 फ़ीसदी और दोपहर तक शंघाई शेयर में 6.6 फ़ीसदी की बढ़त दर्ज की गई.