लखनऊ: शिक्षा का नया सत्र अभी शुरू होने ही वाला है कि प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के नाम पर मनमानी शुरू हो गई है । लगभग सभी स्कूल कालेजों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों की भाग दौड़ का नज़ारा तो आम हो गया है। स्कूलों में कहीं नए एडमिशन के लिए फॉर्म के नाम पर लूट हो रही है तो कहीं पुराने छात्र को नई कक्षा  में प्रवेश के लिए लूट। स्कूलों की इस तरह की मनमानी से शायद ही कोई अभिभावक अछूता होगा।
सामाजिकता के लिए कार्यरत संगठन राष्ट्रीय स्वाभिमान दल ने स्कूलों की इस तरह की मनमानी के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है। पत्रकारों से हुई एक खास वार्ता में आर एस डी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान दल स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी अब बर्दास्त नहीं करेगा। विवेक श्रीवास्तव ने सिटी मॉन्टेशरी, लखनऊ पब्लिक जैसे बड़े स्कूलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे स्कूल शिक्षा को व्यवसाय के रूप में देखते हैं, बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं अलग अलग मदों में धन उगाही ही इनकी प्राथमिकता है। जहाँ अभिभावक सरकारी स्कूलों की जर्जर शिक्षा व्यवस्था से निराश है वहीं प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस के वावजूद अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने के लिए विवश है।
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लखनऊ के कई स्कूलों में एडमिशन फॉर्म भरने के लिए अलग अलग डेट में अलग अलग फीस ली जाती है। फॉर्म भरने के लिए कई तिथियां निर्धारित की जाती हैं प्रतेयक तारीख बीतने के बाद वही एडमिशन फॉर्म महंगा होता जाता है । एड्मिशन के लिए बच्चों का टेस्ट होता है जिसका परिणाम नेट पर या स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगा दिया जाता है, टेस्ट में असफल होने का कारण बताने का जहमत स्कूल प्रशाशन नहीं लेता ।
प्रवेश पाने वाले बच्चों से फीस के नाम पर अलग अलग मदों में भारी भरकम धन वसूला जाता है।
सी एम् एस की इसी सत्र की एक फीस रसीद दिखाते हुए श्रीवास्तव जी ने बताया कि के जी में पुनः प्रवेश के लिए अभिभावकों को 5600 रूपये जमा करने पड़ते हैं । जिसमे शिक्षण शुल्क 2250 रूपये है, यह शुल्क अलग अलग कक्षाओं के लिए अलग अलग है।
इस शुल्क के अलावा वार्षिक शुल्क , भवन निर्माण, परिचय पत्र, स्लेबस और स्कूल में उनकी ही सुविधा के लिए लगे सॉफ्टवेर का भी शुल्क अभिभावकों को भरना है। इसके अलावा किताब कॉपी, यूनिफॉर्म, आदि का खर्चा मिलकर के जी के बच्चे पर प्रवेश के समय ही 10 से 15 हजार रूपये का खर्च आता है, जो कि एक आम आदमी के बजट से तो कोशों दूर है।
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