नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर दोपहर 2 बजे अहम सुनवाई होगी. इसके लिए सभी काग़जी कार्रवाई और अनुवाद का काम पूरा हो गया है. इसमें सबसे पहले यह तय किया जाएगा कि मामले के सभी पक्षकारों को किन-किन बिंदुओं पर बहस करनी है. जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. 9 हजार से ज्यादा पन्नों के हिन्दी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद पूरा किया जा चुका है.राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई

कोर्ट के आदेश पर अनुवाद का यह काम उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है. इसके अलावा पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि रामायण, रामचरितमानस और गीता के जो दस्तावेज़ हाईकोर्ट में सुनवाई में कोर्ट फ़ाइल में लगे थे उनका भी अंग्रेज़ी में अनुवाद का काम दो सप्ताह में पूरा करें. सुप्रीम कोर्ट तीन सदस्यीय विशेष पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई करेगी. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया थाबाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि: जानिए 490 साल पुराने विवाद का इतिहास

इस बीच उत्तर प्रदेश के सेन्ट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए अदालत से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग करते हुए कहा कि कम से कम 7 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करे.

यह है पूरा मामला

राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला. टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए.

इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया. अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से यह मामला पेंडिंग था.