इलाज में थोड़ी सी चूक किसी की जान पर बन आती है तो यह किसी को जिंदगी भर का दर्द दे जाती है। रामनगर में भी यही हुआ…यहां एक बच्चे की आंख में लकड़ी का टूकड़ा घुस गया था, अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ। पट्टी खुली तो उसकी एक आंथ से दिखना ही बंद हो गया।
रामनगर में किशोर की आंख में लकड़ी का टुकड़ा घुसने से इलाज के दौरान उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। परिजनों ने अस्पताल पर आंख निकालने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। सीएमएस कार्यालय में भी तीखी नोक झोंक हुई। वहीं रामनगर अस्पताल के सीएमएस ने लिखित शिकायत मिलने पर मामले की जांच कराने की बात कही है।
रामनगर के गिहार बस्ती भवानीगंज क्षेत्र में रहने वाले सुनील कुमार गिहार के पुत्र आयुष (11) की आंख में बीते 19 मई को आई आंधी तूफान के दौरान आंख में लकड़ी का टुकड़ा घुस गया था। परिजन उसे उपचार के लिए अस्पताल लेकर गए थे। 20 मई को अस्पताल के नेत्र चिकित्सक डा. संयम ने बच्चे की आंख का ऑपरेशन किया। आरोप है कि ऑपरेशन से पहले बच्चे को जिस आंख में चोट लगी थी, उससे दिख रहा था। बच्चे की आंख के ऑपरेशन के बाद जब उन्होंने उसकी पट्टी खोली तो उसे आंख से कुछ भी नहीं दिखाई दिया। इसके बाद परिजन उसे एक रामनगर के निजी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसकी आंख की रोशनी जा चुकी है। मंगलवार को परिजन अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सीएमएस कार्यालय में हुई तीखी नोंकझोंक
पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी के नेतृत्व में परिजन सीएमएस डाॅ. चंद्रा पंत के कार्यालय पहुंचे। डाॅ. चंद्रा पंत ने बच्चे की आंख का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर को बुलाया। एक घंटे तक डॉक्टर नहीं पहुंचे, इस पर परिजनों में आक्रोश फैल गया। जब डाॅ. संयम पहुंचे तो परिजन से उनकी नोक झोंक हो गई। इस दौरान काफी हंगामा हुआ, सीएमएस ने किसी तरह मामले शांत किया। सीएमएस डाॅ. चंद्रा पंत ने बताया कि परिजनों की ओर से फिलहाल कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई। शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी। डॉक्टर ने परिजनों को सारी स्थिति से अवगत करा दिया है।
अस्पताल में नहीं मिला इलाज
ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने बताया लगातार इस प्रकार की घटनाएं होना ठीक नहीं है। पूर्व में भी उपचार के अभाव में कई लोग अपनी जान गवां चुके है। इस अस्पताल को सरकारी तंत्र में चलने को लेकर धरने प्रदर्शन किया जा चुके है, लेकिन
नेत्र चिकित्सक, डाॅ. संयम ने बताया कि बच्चा जिस समय अस्पताल में आया था, लकड़ी से उसकी आंख की झिल्ली फट चुकी थी। यदि ऑपरेशन नहीं किया जाता तो इंफेक्शन फैल जाता। ऑपरेशन करने से परिजनों से लिखित में लेते हुए सारी जानकारी दे दी गई थी। मैं कोर्ट में भी जवाब देने का तैयार हूं।
बच्चे की आंख का यदि ऑपरेशन नहीं करते जान जा सकती थी। बच्चे के दादा को स्थिति बताकर लिखित में लेकर ऑपरेशन किया गया था। अस्पताल पर बच्चे के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप गलत है।
- डॉ प्रतीक सिंह, अस्पताल प्रशासक
अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला की मौत
रामनगर में प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो गई। महिला की मौत होने पर परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। परिजनों ने महिला का अंतिम संस्कार कर दिया।
मोहल्ला इंद्रा काॅलोनी मदरसा गुलशन रजा निवासी इकबाल अंसारी की पत्नी फरजाना (48) का मंगलवार सुबह रामनगर अस्पताल में प्रसव कराया गया। प्रसव के दौरान महिला की मौत हो गई। महिला की मौत होने पर परिजनों में कोहराम मच गया और शव को परिजन बिना किसी कार्रवाई के घर ले गए। परिजनों ने महिला का अंतिम संस्कार कर दिया। निवर्तमान सभासद मोहम्मद मुजाहिद ने आरोप लगाया कि अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते महिला की मौत हुई। महिला के चार बच्चे पहले ही है और यह पांचवां बच्चा था जिसके प्रसव के लिए महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दूसरी ओर, अस्पताल के प्रशासक डा. प्रतीक सिंह ने बताया कि महिला को डॉक्टरों ने तीन दिन पहले ही बता दिया था, पेट में बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है। हायर सेंटर दिखाने को कहा गया था। मंगलवार की सुबह पहले परिजनों ने घर पर ही प्रसव कराने का प्रयास किया था जब हालत बिगड़ी तो अस्पताल लेकर परिजन आए थे। महिला की हालत बेहद खराब थी।