वेश्यावृति के कालिख में सिर्फ पुरूष ही नहीं हैं बल्कि इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। भारत में भी मर्दों के जिस्म का कारोबार बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है। दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू जैसे शहरों के कई प्रमुख वीवीआईपी इलाकों की मार्केट में मर्दों का बाज़ार लगता है। पुरुषों की देह की इस मंडी को ‘जिगोलो मार्केट’ कहते हैं। सभ्य परिवार की महिलाएं यहां मर्दों की बोली लगाती हैं।
इस गंदी मंडी में महिलाएं मनचाहे मर्द को पाने के लिए मनचाही रकम देने को तैयार रहती हैं। दिल्ली के जिगोलो मार्केट में खुलेआम युवा अपने जिस्म का सौदा करते हैं।
जब राजधानी की सड़कें सुनसान होती हैं तब इनका बाजार सज जाता है। युवाओं की खरीददार उन घरानों या इलाकों की महिलाएं होती हैं जिन्हें इज्ज़तदार या सभ्य कहा जाता है।
जिगोलो को बुक करने का काम सिर्फ सड़कों पर ही नहीं, बल्कि हाई-फाई क्लब, पब और कॉफी हाउस में भी होता है। कुछ घंटों के लिए जिगोलो की बुकिंग 2000 से 3000 हजार रुपए और पूरी रात के लिए 8000 रुपये तक में होती है। इसके अलावा युवाओं के गठीले और सिक्स पैक ऐब्स के हिसाब से 15 हज़ार तक कीमत होती है।
महिलाएं सौदेबाजी नियोजित तरीके से करती है
युवाओं की सौदेबाजी का काम बेहद नियोजित तरीके से होता है। यही वजह है कि कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा इन्हें अपनी संस्था को देना होता है, जो इन्हें इस धंधे में लेकर आती है। जिस्म के इस कारोबार को कई युवा अपना प्रोफेशन भी बना चुके हैं तो कई अपनी लक्जऱी आवश्यकताओं के लिए इस दलदल में फंस रहे हैं। इनमें इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र सबसे ज्यादा हैं।
जिस्म का यह बाज़ार रात 10 बजे से सुबह 4 बजे के बीच चलता है। युवा पॉश इलाकों और बाज़ारों में खड़े हो जाते हैं। यहां गाड़ी रुकती है, जिगोलो बैठता है और सौदा तय होते ही गाड़ी चल देती है। जिगोलो की डिमांड उसके गले में बंधे पट्टे पर निर्भर करती है।
कई जाने-माने होटलों में भी यह धंधा जमकर चलता आ रहा है। मगर यहां जिगोलो की पहचान गले में पहने पट्टे से नहीं बल्कि ड्रेस से होती है। कई होटलों में जिगोलो के हाथ में लाल रुमाल और गले में पटटे की बजाय काली पैंट और सफ़ेद शर्ट पहचान होती है। ये युवा इन होटलों के रेस्तरां में बैठकर कॉफी की चुस्कियां लेते हुए अपने ग्राहक की तलाश करते हैं।
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