रात जेल की काल कोठरी में बिता कर सुबह स्कूल चल देती है ये मासूम

जुर्म करे कोई और भरे कोई इससे बड़ी कोई विडम्बना नहीं हो सकती, किसी इंसान के जीवन में. उस पर किसी मासूम को अपनी जिंदगी की शुरुआत जेल की चारदीवारी में करनी पड़े तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी जिदंगी में कितनी चुनौतियां होंगी. ऐसी ही एक मासूम वाराणसी जिला जेल में पैदा हुई और जेल की काल कोठरी में ही बड़ी होने लगी. उसके जेल में होने का कारण है, उसकी मां ने अपनी हाथों से अपना सुहाग मिटा दिया था. इस मासूम का नाम पिंकी है (बदला हुआ नाम). अंधेरे में रोशनी की किरण यह है कि पिंकी ने अब स्कूल जाना शुरू कर दिया है.

चंदौली की रहने वाली पिंकी की मां गोल्डी अपने ही पति के क़त्ल के आरोप में सजा काट रही है. वारदात के समय वह प्रेग्नेंट थी और उनसे जेल में ही पिंकी को जन्म दिया. जेल की दीवारों के बीच ही घुटनों के बल चलते- चलते पिंकी अपने छोटे-छोटे पैरों पर लड़खड़ाते खड़ी हुई.

समय बीता और जब साढ़े पांच साल की हुई तो मां की गुजारिश पर जेल से कुछ दूरी पर स्थित एक प्राइमरी स्कूल पर उसका एडमिशन करा दिया गया. यही नहीं पिंकी को स्कूल ले जाने और वहां ले आने के लिए बाकायदा एक फीमेल कांस्टेबल भी तैनात कर दी गई.

उसने स्कूल में एडमिशन लेने से पहले ही हिंदी के क, ख, ग और अंग्रेजी के ए, बी, सी, डी अक्षरों को पहचानना शुरू कर दिया था. उसे दस तक का पहाड़ा भी याद है. शायद जेल के माहौल और मां को कैद में देखने का असर उसके दिमाग में बैठ गया है, तभी वह बड़ी होकर वकील बनना चाहती है.

मां को लगता है उसकी बेटी को अगर कायदे की एजुकेशन मिली तो वह एक अच्छी स्टूडेंट साबित होगी. पिंकी अब सुबह होने पर स्कूल जाती है और बाहर की दुनिया में अपने हमउम्र बच्चों से मिलती-जुलती है. जैसे ही स्कूल की छुट्टी होती है मासूम अपने कंधों पर अपना स्कूल बैग लिए जेल की दीवारों के बीच कैद अपनी मां के पास लौट आती है.

पिंकी बताती है कि स्कूल में उसकी एक अच्छी दोस्त भी बन गई है. अपनी दोस्त से मिलने के लिए पिंकी को अब रोज स्कूल जाना अच्छा लगता है. पिंकी का कहना है कि वो और उसकी दोस्त स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ खूब मस्ती भी करते हैं.

छुट्टी के दिन जब पिंकी स्कूल नहीं जा पाती और अपनी दोस्त से नहीं मिल पाती तो उदास हो जाती है. जेल सुप्रीटेन्डेंट बताते हैं कि पिंकी के बड़े होने पर उसकी मां गोल्डी ने उसे स्कूल भेजने के लिए आवेदन किया था. उसको स्वीकार करते हुए जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने उसका एडमिशन पास के प्राइमरी स्कूल में करा दिया. पिंकी को स्कूल आने-जाने में परेशानी न हो, इसके लिए एक लेडी कांस्टेबल को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है.

मिली जानकारी के मुताबिक़ साल 2012 में पिंकी मां ने अपने पति की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी थी क्योंकि यह शादी उसकी मर्जी से नहीं हुई थी. एक रात उसने अपने पति से छुटकारा पाने के लिए गला रेतकर उसकी हत्या कर दी थी. मामले की जांच शुरू हुई तो गोल्डी ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

इसके बाद से ही वह वाराणसी जिला जेल में बंद है और यहीं उसने पिंकी को जन्म दिया. पिंकी के स्कूल जाने से उम्मीद की किरण जगी है कि मासूम को अपने मां के जुर्म की सजा नहीं भुगतनी होगी और वह पढ़-लिखकर अपना भविष्य संवार सकेगी.

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