पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ मुलाकात करने सोमवार को राजभवन पहुंचीं। दोनों के बीच इस बैठक को मेल-मिलाप का संकेत माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि धनखड़ के पिछले साल जुलाई में राज्यपाल का कार्यभार संभालने के बाद बनर्जी और उनके बीच यह पहली बैठक है।
बैठक का लक्ष्य अभी स्पष्ट नहीं है। राज्यपाल के आधिकारी आवास से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री दोपहर 12 बजे राजभवन पहुंची थीं। अभी दोनों के बीच बैठक चल रही है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सात फरवरी (शुक्रवार) को उस समय सभी को चौंका दिया, जब वह विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत के दौरान अपने अभिभाषण में राज्य सरकार की तरफ से लिखी गई बातों को बिना किसी बदलाव के पढ़ते दिखाई दिए थे। धनखड़ ने सदन को संबोधित करते हुए कहा था कि असहिष्णुता, कट्टरता और घृणा देश में नए मानक बन गए हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा था कि असंतोष के सभी तरीकों को अस्वीकार करना देशभक्ति के नाम पर एक नया फैशन बन गया है। लिखित भाषण पर टिके रहकर धनखड़ ने राज्य सरकार के साथ किसी भी तरह की निर्णायक मुठभेड़ के मौके को टाल दिया है।
हालांकि, 24 घंटे पहले उन्होंने बजट भाषण में लिखी बातों पर आपत्ति जताते हुए इसमें बदलाव का आग्रह किया था। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह अपने संबोधन के साथ एक नया इतिहास रचेंगे।
उनके इस बयान से अंदाजा लगाया जा रहा था कि वह अपने अभिभाषण में टीएमसी सरकार के खिलाफ बोलेंगे। परंपरा के मुताबिक, राज्यपाल को बजट सत्र की शुरुआत में राज्य सरकार की तरफ से अपने नीतिगत निर्णयों को लेकर तैयार किए गए भाषण को ही पढ़ना होता है।
हालांकि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान कुछ दिन पहले राज्य सरकार के लिखे भाषण से इतर अपनी बात को संबोधन में शामिल कर चुके हैं। लेकिन धनखड़ ने ऐसा नहीं किया।
धनखड़ ने अपने अभिभाषण में कहा था कि फिलहाल देश एक अहम मोड़ से गुजर रहा है। हमारे संविधान के मूल मूल्यों और सिद्धांतों को चुनौती दी जा रही है, गलत सूचना फैलाई जा रही है और असंतोष के सभी रूपों को देशभक्ति के नाम पर अस्वीकार करना नया फैशन बन गया है।
उन्होंने एनआरसी के खौफ के चलते देश में गई निर्दोष लोगों की जान को लेकर शोक जताया। उन्होंने कहा, किसी भी तरह का त्रासदीपूर्ण मानक अपनाने से पहले सभी वर्गों के लोगों को विश्वास में लिया जाना आवश्यक था। उन्होंने कहा, राज्य सरकार एनपीआर, एनआरसी और सीएए आदि सरीखे कदमों के नाम पर लोगों को बांटने का सख्ती से विरोध करती है।
बाद में धनखड़ ने एक ट्वीट में सरकारी भाषण पढ़ने को सही ठहराते हुए कहा था कि मैंने संविधान की उच्च परंपराओं का पालन करते हुए भाषण दिया। मुझे उम्मीद है कि सभी संविधान का उचित सम्मान करेंगे।