जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही प्रदेश में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति भी करवटें बदलने लगी है। कांग्रेस में बन रहे नए सत्ता केन्द्रों के बीच कभी प्रदेश की राजनीति की अहम धुरी रहे राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी की अचानक बढ़ी सक्रियता इसमें उथल पुथल मचा रही है। तमाम अन्तर्विरोधों के बीच मांडलगढ़ में जिस रणनीति के सहारे उन्होंने विवेक धाकड़ को जिताया है, उसका लोहा केन्द्रीय नेतृत्व ने भी माना है।
इस जीत के बाद बढ़ी उनकी सक्रियता ने उनके समर्थकों को तो लामबंद कर ही दिया है साथ ही उस धारणा को भी कांग्रेस में निर्मूल कर दिया है कि कांग्रेस में गहलोत और पायलट गुट ही बचे है। सीपी जोशी के रूप में तीसरे गुट के रूप में उनकी धमाकेदार वापसी दूसरे गुटों में हलचल मचा दी है। अब यह माने जाने लगा है कि राजस्थान में कांग्रेस की टिकटों या संगठन को लेकर कुछ भी फैसला होगा,वह सीपी जोशी की बिना सहमति से संभव नहीं होगा।
सीपी जोशी की धमाकेदार सक्रियता कांग्रेस में जमीनी स्तर पर दिखाई भी देने लगी है। उनके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान जो उनके समर्थक थे, वे कुछ समय से निष्क्रिय हो गए थे। उन्होंने या तो दूसरे दरबारों में हाजिरी लगाना शुरू कर दिया था या वे संगठन में हाशिए पर आ गए थे। अब सीपी जोशी की सक्रियता ने उन्हें संबल दिया है।
माना जा रहा है कि सीपी जोशी अभी और सक्रिय होंगे। राष्ट्रीय महासचिव के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आने इस खास सिपहसालार को कई राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी दे रखी थी। अब पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर यह तय किया जा रहा है कि सभी राष्ट्रीय महासचिवों को एक राज्य के प्रभारी की ही जिम्मेदारी दी जाएगी।
ऐसे में सीपी जोशी के लिए राजस्थान के लिए काफी वक्त मिलेगा। अभी तक वे आरसीए के अध्यक्ष के रूप में या पार्टी के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में ही राजस्थान आ पाते हैं। अब जिम्मेदारियां कम होने पर वे प्रदेश में काफी वक्तगुजार पाएंगे। इससे वे जल्दी ही अपने समर्थकों को लामबंद कर अपनी ताकत दिखा पाएंगे। कांग्रेस में सीपी जोशी का उदयपुर,भीलवाड़ा, राजसमन्द या यूं कहे कि मेवाड़ और बागड़ में खासा प्रभाव है।
वे इन संभागों की करीब तीन दर्जन से अधिक सीटों पर अपना दबदबा रखते हैं। यहां आज भी टिकट वितरण के फैसले उनके बिना नहीं लिए जा सकते हैं। इसके अलावा वे पार्टी के युवा वर्ग पर अपनी पकड़ रखते हैं। बेहतरीन वक्ता होने की वजह से उनमें लोगों को भाषण के दौरान बांधे रखने की क्षमता है।
जोशी की ज्यों ज्यों राजस्थान में सक्रियता बढ़ेगी,उनके पूरे प्रदेश में दौरे होंगे। इन दौरों से उनके समर्थकों की संख्या बढ़ेगी। सीपी जोशी की एक और बात है कि उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व का वरदहस्त है। इसके बावजूद वे दूसरे नेताओं के मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इस कारण पार्टी के सभी गुटों में उनकी ग्राह्यता है। उनकी सक्रियता को लेकर माना जा रहा है कि पार्टी में अब अन्य गुट कमजोर होंगे। जो नेता दूसरे गुटों में रहकर पार्टी की फ्रंटलाइन में नहीं आ पा रहे थे,अब सीपी जोशी का दामन थामकर आगे आ सकेंगे।