राजस्थान के झुंझुनूं जिले में पिछले एक महीने में करीब दो हजार से अधिक पशुओं की लंपी वायरस से मौत हो चुकी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार झुंझुनू जिले में लंपी का पहला मामला गत 29 जुलाई को सामने आया था। एक महीने में लंपी वायरस पूरे जिले में फैल चुका है। सरकार ने वैक्सीन भी उपलब्ध कराई है लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक जिले में पशुओं का वैक्सीनेशन नहीं कराया जा सकता है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामेश्वर सिंह ने बताया कि हाल ही में कराये गये एक सर्वे में सामने आया है कि झुंझुनू जिले में लंपी से बीमार पशुओं की संख्या 2.75 प्रतिशत है और अबतक 0.95 प्रतिशत पशु रिकवर हो चुके हैं। जबकि लंपी से मौत का आंकड़ा 0.15 फीसदी है। सूत्रों के अनुसार जिले में इस एक महीने में करीब दो हजार से अधिक पशुओं की लंपी से मौत की खबरें आ रही हैं।
बीमारी के लक्षणों के आधार पर संक्रमित पशुओं को दी जाने वाली दवाओं की उपलब्धता भी जिले के सभी 335 सेंटर्स पर करवा दी गई है। गोवंश को लंपी से बचाने के लिए तमाम तरह के उपाय तत्काल शुरू किए गए लेकिन संक्रमण पर काबू नहीं हो सका है। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक झुंझुनूं में लंपी संक्रमित पशुओं का टीकाकरण किया जाना उचित नहीं है।
इसके पीछे डॉ. रामेश्वर सिंह कारण बताते हैं कि जिस स्थान पर लंपी संक्रमित पशु पाया जाता है उसके पांच किलोमीटर के दायरे में टीकाकरण नहीं किया जा सकता है। जिले के हर गांव में संक्रमण फैल चुका है और एक संक्रमित पशु के तय दायरे में दूसरा संक्रमित पशु पाया गया है। इसलिए सरकारी स्तर पर किसी भी संक्रमित पशु में टीकाकरण नहीं किया गया है।
संक्रमण पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों की मानें तो लंपी वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने में 2 से 4 हफ्ते तक का समय लगाता है जिसे इनक्यूबेशन पीरियड कहते हैं। गाइडलाइन के पालन में झुंझुनू जिले में सरकारी स्तर पर तो लंपी संक्रमित पशुओं में टीकाकरण नहीं किया गया है। लेकिन पशुपालक अपने स्तर पर पशुओं का टीकाकरण करवा रहे हैं। विभागीय सर्वे में पता चला है कि जिले में 3783 पशुओं का टीकाकरण हो चुका है।