गैर मान्यता प्राप्त बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही बिहार रणजी ट्रॉफी में खेलता नजर आएगा। आदित्य ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले से एक मापदंड तय कर बीसीसीआई के अधिकारियों को सबक सिखाया। बता दें कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) सट्टेबाजी एवं स्पॉट फिक्सिंग मामले के मुख्य याचिकाकर्ता आदित्य ही हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं को लागू करने के संबंध में अड़ियल रुख अपनाए हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उनके पदों से हटा दिया। आदित्य ने कहा, “मैं याचिकाकर्ता था और मैंने अपने बिहार के बच्चों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। बीसीसीआई के अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था और मीडिया के माध्यम से गलतबयानी कर आलोचना कर रहे थे। इस पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने एक मापदंड तय किया है और उन सभी खेल अधिकारियों को सबक सिखाया है।”
आदित्य ने कहा, “ये अधिकारी यही सोचते हैं कि ऊंचे पद पर बैठने के बाद वे कुछ भी करें, उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हें सबक सिखा दिया है।” सीएबी सचिव ने कहा, “ठाकुर ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के साथ जो अड़ियल रवैया अपनाया हुआ था, उसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा।” सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से बिहार को बीसीसीआई की पूर्ण सदस्यता मिलने की उम्मीद पर आदित्य ने कहा, “लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट में बिहार को सदस्यता दे दी थी, लेकिन ठाकुर ने रिपोर्ट में लिखी सिफारिशों को लागू करने से इनकार कर दिया था। मुझे आशा है कि जिस दिन समिति की सिफारिशें लागू होंगी, उस दिन हमारे बिहार के बच्चे भी रणजी ट्रॉफी खेल पाएंगे।”
उल्लेखनीय है कि आदित्य ने पिछले साल जून में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए ठाकुर पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया था। आदित्य ने बताया कि तीन साल पहले भाजपा में शामिल होने के पीछे उनका मकसद बीसीसीआई से बिहार को पूर्ण मान्यता दिलवाना था और ठाकुर ने उनके लक्ष्य को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन बीसीसीआई सचिव फिर अध्यक्ष बनने के बाद ठाकुर अपने वादे से मुकर गए। आदित्य के अलावा बिशन सिंह बेदी, बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष किशोर रंगता और दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) मामले की जांच करने वाले न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल सहित कई पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रशासन से जुड़े लोगों ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।