योगी सरकार के मंत्री और विधायक अपनी सरकार के ही व्यवस्था को कर रहे हैं कटघरे में खड़ा
योगी सरकार के मंत्री और विधायक अपनी सरकार के ही व्यवस्था को कर रहे हैं कटघरे में खड़ा

योगी सरकार के मंत्री और विधायक अपनी सरकार के ही व्यवस्था को कर रहे हैं कटघरे में खड़ा

भदोही। योगी सरकार के मंत्री और विधायक अब अपनी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होने लगे हैं। वह अपनी ही सरकार की व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। भाजपा विधायक दीनानाथ भाष्कर रविवार को औराई तहसील में समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए।योगी सरकार के मंत्री और विधायक अपनी सरकार के ही व्यवस्था को कर रहे हैं कटघरे में खड़ा

विधायक के विरोध-प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही तहसील से लेकर जिलास्तरीय अधिकारियों में अफरा-तफरी मच गई। विधायक ने सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय में लाभार्थियों से वसूली की जा रही है तो दुकानों का मनमाने तरीके से अटैचमेंट किया जा रहा है। हालांकि धरने की जानकारी होते ही जिलाधिकारी विशाख जी और पुलिस अधीक्षक सचिंद्र पटेल मौके पर पहुंच गए। देर शाम तक मान- मनौवल चलता रहा। 

तहसील में भ्रष्टाचार का बोलबाला

औराई विधायक ने गत दिनों विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज में यूपी दिवस में भी खुले मंच से जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया था। आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री आवास और शौचालयों में लाभार्थियों से धन उगाही की जा रही है। दीनदयाल ज्योति योजना में विद्युत विभाग द्वारा करोड़ों रुपये का घोटाला कर लिया गया है। चयनित गांवों की सूची  जन प्रतिनिधियों से नहीं मांगी गई। अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों को सम्मान नहीं दिया जा रहा है। भूमाफियाओं पर कार्रवाई करने के बजाए छोटे एवं गरीबों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। तहसीलों में गैर विवादित नामांतरण 35 दिन के अंदर नहीं किया जा रहा है।

भाजपा शासन में भ्रष्टाचार सौ गुना 

उधर भाजपा के साथ मिलकर यूपी लोकसभा चुनाव लडऩे की बात करने वाले योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सुहेलदेव जयंती पर वाराणसी रैली में कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ा ही है। उन्होंने कहा कि ऐसा दावा किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में केंद्र तथा राज्य सरकार में भ्रष्टाचार बेहद कम हो गया। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पहले 500 रुपए का भ्रष्टाचार होता था, लेकिन अब तो पांच हजार रुपए का हो रहा है। 

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