प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान पर योगी आदित्य नाथ के सूबे उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन फिसड्डी रहा है। वाराणसी को छोड़कर उत्तर प्रदेश के सभी शहर स्वच्छता के मापदंड पर लगभग अंतिम पायदान पर हैं। लेकिन अब सीएम आदित्य नाथ ने राज्य की गंदी तस्वीर को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाने का फैसला किया है। इसके तहत राज्य सरकार ने कई फैसले लिये हैं। राज्य सरकार के सबसे अहम फैसलों में उत्तर प्रदेश को अक्टूबर 2018 तक खुले में शौच से मुक्त घोषित करना शामिल है। सीएम योगी आदित्य नाथ ने शुक्रवार (5 मई) को लखनऊ में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात कर कई अहम ऐलान किये ।
बता दें कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने गुरुवार (4 मई को) देश के 434 शहरों का स्वच्छता इंडेक्स पेश किया था। इस इंडेक्स में उत्तर प्रदेश देश के सबसे गंदे राज्यों में शामिल है। प्रदेश को गोंडा शहर देश का सबसे गंदा शहर है, जबकि यूपी के 62 में से 50 शहरों की रैंकिंग 300 से भी नीचे हैं। हालांकि पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने स्वच्छता के मामले में जबर्दस्त प्रगति की है और इस पौराणिक शहर की वर्तमान रैंकिंग 32 है। लेकिन जब पीएम ने अक्टूबर 2014 में स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी तो बनारस 418 नंबर पर था।
अब उत्तर प्रदेश सरकार की बीजेपी सरकार राज्य को गंदगी से मुक्त करने और चमकाने के लिए एक्शन में आ गई है। सीएम ऑफिस से किये गये ट्वीट के मुताबिक अक्टूबर 2018 तक उत्तर प्रदेश खुले में शौच से मुक्त होगा, यानी की राज्य सरकार बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण करने वाली है। इसी साल के अंत तक यूपी के 30 जिलों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। सीएम ऑफिस से मिले आंकड़ों के मुताबिक यूपी के 55 निकायों के 2720 वार्ड पहले ही खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। यूपी में अबतक 2,98,398 व्यक्तिगत, 3,550 सामुदायिक और 2,037 सार्वजनिक शौचालयों को निर्माण किया जा चुका है।हालांकि स्वच्छता के पायदान पर आगे बढ़ने के लिए राज्य सरकार को कई और मोर्चों पर भी काम करने की जरूरत होगी।