इसके बाद 1950 के दशक के बाद यह अमेरिकी नजरों से भी किसी तरह बच गई। मित्र राष्ट्रों के अफसर इसे तोड़ कर अमेरिका ले जाना चाहते थे परंतु ऐसा हो न सका। 1972 में पूर्वी जर्मनी के कब्जे में आने के बाद इसे सायवादियों का सामना करना पड़ा। इतिहासविदों तथा संरक्षणवादियों ने इसकी टाइल्स के स्थान पर प्लास्टिक के पैनल लगाए जाने से तो इसे बचा लिया परंतु इसके अनूठे ‘मिल्क फाऊंटेन’ (दूध वाले फव्वारे) को वे भी नहीं बचा सके।
1989 में बलन दीवार के गिरने तथा जर्मनी के एकीकरण के बाद स्टोर को इसके वारिसों को सौंप दिया गया। अधिकतर टाइल्स को आसानी से साफ करके संरक्षित किया गया परंतु 5 प्रतिशत को नई टाइलों से बदलना पड़ा। जल्द ही डेयरी को पहले वाली प्रसिद्धि मिल गई और यहां नया मिल्क फाऊंटेन लगा कर इसे 1995 में खोल दिया गया।
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