ये सवाल हैं तो क्लास वन के लिए, पर जरा जवाब देकर तो देखिए

ये सवाल हैं तो क्लास वन के लिए, पर जरा जवाब देकर तो देखिए नई दिल्ली। क्या आप इन सवालों के जवाब जानते हैं?:

– न्यूयार्क ग्लोबल लीडर्स डायलॉग ह्‌यूमैनिटेरियन अवार्ड, 2015 का विजेता कौन है?

– सुरजीत टूर्नामेंट किस खेल से जुड़ा हुआ है?

– तंजानिया के नए राष्ट्रपति कौन हैं?

– किस राज्य ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण की घोषणा की है?

– नेट पर आजादी को लेकर किए गए सर्वे की 2015 की रिपोर्ट में कौन-सा देश अव्वल है?

जरा बताइए, इनमें से कितने प्रश्नों के उत्तर आप दे सकते हैं? मुश्किल सवाल हैं न! ये केबीसी में अपनी जानकारी जांचने या भाग्य आजमाने वाले सवाल नहीं हैं। ये सवाल स्टैंडर्ड वन में प्रतिभा खोज परीक्षा के लिए कर्नाटक में पूछे जा रहे हैं। और ये सवाल किसी एक स्कूल के टेस्ट में नहीं पूछे गए हैं। कर्नाटक आइसीएसई स्कूल संघ (किसा) ने इसका प्रश्नपत्र तैयार किया है। ये परीक्षाएं गुरुवार को हुई हैं। अगले 9 सितंबर को भी इसी तरह के टेस्ट होने वाले हैं।

यह रहस्योद्घाटन एक बच्चे की मां ने किया। इनका नाम सहाना राव है। उन्होंने इस परीक्षा के लिए किसा की तरफ से तैयार क्वेश्चन बैंक की फोटो ट्वीट की और लिखा कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे लोग भी शायद इनका जवाब नहीं दे पाएंगे। मामला वायरल होने पर परीक्षा लेने वाली समिति के एक सदस्य पीटी जोसेफ ने जो कहा, वह भी जानने लायक है। उन्होंने बताया कि पिछले साल ली गई परीक्षा में काफी सारे बच्चों ने अच्छे अंक हासिल किए थे। इसीलिए हमने इस दफा स्तर थोड़ा ऊंचा उठाने की कोशिश की है। हमने छात्रों के स्तर के लायक सवाल पूछे हैं।

इस परीक्षा में इस क्वेश्चन बैंक से ही सवाल पूछे जाने हैं। लगभग 60 फीसद सवाल टेस्ट में रहेंगे। इस परीक्षा में 250 स्कूलों के लगभग 53 हजार बच्चे भाग ले रहे हैं। अब सोचिए, स्टैंडर्ड वन के बच्चे क्या ये सवाल पढ़ भी पा रहे होंगे? इस तरह के बच्चों से उन सवालों के जवाब देने की उम्मीद की जा रही है जिनके लिए लोग जनरल नॉलेज के न जाने कितनी किताबों से रटते रहते हैं। स्टैंडर्ड वन के नन्हे-मुन्ने बच्चे रट भी रहे होंगे तो उनसे क्या-क्या याद रखने की उम्मीद की जानी चाहिए। और यह भी कि अभिभावक से लेकर स्कूल और सरकार तक ने इन बच्चों में कौन-सी प्रतिभा की उम्मीद पाल रखी है।

स्वाभाविक है कि इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। एक ने इस परीक्षा को ही बिना दिमाग वालों का फितूर बताया है। एक ने लिखा है कि नई-नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित करने की जगह हम अब भी तोता रटंत तरीका अपना रखा है। इस उम्र के तोते से भी ऐसी उम्मीद करना शायद बुद्धिमानी नहीं है!

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