उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक अस्पताल की गलती ने बागपत के स्वास्थ्य विभाग की परेशानी को बढ़ा दिया है। अस्पताल में उपचार करा रहे कोरोना संक्रमित को करीब 20 दिन पहले ही मृत दर्शा दिया गया। पोर्टल पर भी उसकी मौत दर्शाई गई। बागपत के अधिकारियों ने संदेह होने पर वेरिफिकेशन किया, तो मृत दर्शाया गया रोगी जिंदा मिला। इसके बाद पोर्टल से बुधवार को मृत व्यक्ति का नाम हटा दिया गया।

कोरोना की दूसरी लहर ने बागपत जिले में भी खूब कोहराम मचाया। अप्रैल व मई माह से करीब 100 लोगों की मौत हो गई, जबकि 7 हजार से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हुए। हालात ऐसे बन गए थे कि कोरोना संक्रमित उपचार कराने के लिए बागपत के साथ ही मेरठ और गाजियाबाद के अस्पतालों में भर्ती होने लग गए थे। बागपत से भी गंभीर रोगियों को मेरठ रेफर किया जा रहा था। इसी दौरान बागपत शहर का एक रोगी मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती हुआ। उसकी हालत गंभीर थी। इस दौरान अस्पताल प्रशासन से बड़ी चूक हो गई। उसने जिंदा रोगी को मृत दर्शा दिया।
उसकी रिपोर्ट करीब 20 दिन पूर्व बागपत प्रशासन को भेज दी गई थी। रोगी की मौत को पोर्टल पर भी दर्शा दिया। अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को एक नाम के दो व्यक्तियों की मौत पोर्टल पर देख संदेह हुआ। इसके बाद उसने वेरिफिकेशन कराया। वेरिफिकेशन में पता चला कि जिस रोगी को मेरठ के अस्पताल द्वारा मृत दर्शाया गया था, वह जिंदा मिला। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए उसके नाम को पोर्टल से हटा दिया। सीएमओ डा. आरके टन्डन ने बताया कि मेरठ के एक अस्पताल से चूक हुई थी। उसने जिंदा व्यक्ति को मृत दर्शा दिया था। पोर्टल से मृत दर्शाए गए व्यक्ति के नाम को हटा दिया गया है।
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