नई दिल्ली. 2019 की लड़ाई के लिए विपक्ष भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए एक मोर्चा बनाने का दावा ठोकता रहे लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इस मोर्चे में जहां कांग्रेस सभी को साथ लाने की कोशिश में जुटी हुई है वहीं, राहुल गांधी से भी वरिष्ठ नेता, खासकर शरद पवार एक बड़ी अड़चन बनते दिखाई दे रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनसीपी प्रमुख शरद पवार राहुल का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं वहीं, ममता की अगुवाई वाली तृणमूल भी इसी तरह की राय रखे हुए है. टीएमसी राहुल के नेतृत्व में 2019 में उतरने का मन नहीं बना पा रही है. इसी वजह से कुछ दिन पहले हुई विपक्षी दलों की बैठक में पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी को मोर्चा संभालना पड़ा. 
यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की दोस्ती भी परवान चढ़ी थी. हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद ये ज्यादा दिन टिक नहीं सकी. यूपी में करारी हार के बाद एसपी के नेता कांग्रेस को दोषी ठहराने लगे. हालांकि राहुल-अखिलेश हमेशा दोस्ती के दावे करते रहे. अब जब योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट पर उपचुनाव का बिगुल बजा है तो दोनों पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं.
एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने गोरखपुर सीट के उपचुनाव के लिये प्रवीण निषाद और फूलपुर सीट से नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने डॉक्टर सुरहिता करीम को गोरखपुर और मनीष मिश्रा को फूलपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया है.
बीएसपी भी ऐसी किसी संभावना से दूर नजर आ रही है. मायावती ने एसपी संग किसी भी समझौते से इनकार कर दिया है. वो ऐसे किसी भी मोर्चे का हिस्सा बनने से इनकार कर रही है जिसमें एसपी मौजूद होगी. हालांकि पूर्व में वह ऐसे बयान दे चुकी हैं जिसमें मोदी को हराने के लिए वह एसपी से भी हाथ मिलाने की बात कह चुकी हैं. अब राहुल गांधी के सामने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर वैसी ही चुनौती है जैसी 15 साल पहले 2004 में सोनिया के सामने थी. हालांकि सोनिया तब तमाम मोर्चों पर जूझते हुए कामयाब रही थीं.
हाल में, राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट जीतकर कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया है. अब यूपी में हर पार्टी अलग अलग उम्मीदवार उतारकर मैदान में है, यहां की लड़ाई पर सभी की नजरें तो टिकी ही हैं, 2019 के लिए पार्टियों की रणनीति भी इस नतीजे के बाद बनेगी.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal