उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार गठन के दो हफ्तों बाद आखिरकार मुख्यमंत्री आदित्यानाथ योगी ने अपनी कैबिनेट की बैठक बुलाई है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 4 अप्रैल को शाम 5 बजे यूपी कैबिनेट की पहली बैठक होगी.
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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी चुनावों के लिए पार्टी के प्रचार अभियान के दौरान कई बार घोषणा की थी कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली कैबिनटे बैठक में ही किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की जाएगी.
ऐसे में योगी कैबिनेट की बैठक में हो रही देरी के पीछे किसानों की कर्ज माफी को ही एक कारण माना जा रहा था. सूत्रों की मानें सीएम आदित्यनाथ योगी के आदेश के बाद वरिष्ठ अफसरों ने किसानों कर्ज माफी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.
जानकारों की मानें तो कर्ज माफी का राज्य के खजाने पर काफी बोझ पड़ेगा और इसे एक वित्तीय वर्ष में वहन करना राज्य सरकार के बूते से बाहर है. सूत्रों के अनुसार, एक गणना के मुताबिक, यूपी में छोटे-मझौले किसानों की संख्या करीब दो करोड़ के आसपास है और इन पर लगभग 62 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है.
इस संबंध में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि यूपी सरकार कर्जमाफी के फैसले पर आगे बढ़ती है तो बैंकों को नुकसान होगा. साथ ही अन्य राज्यों का वित्तीय गणित भी गड़बड़ा जाएगा.
बता दें कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ कैबिनेट मीटिंग के बिना ही राज्य में अभी तक आदेश जारी किए हैं. योगी सरकार अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई, विधि व्यवस्था में सुधार और एंटी रोमियो स्क्वैड जैसे फैसलों को लेकर लगातार सुर्खियों में है. हालांकि इन सबके बीच विपक्षी नेता किसानों की कर्ज माफी जैसे अहम फैसले में देरी को लेकर योगी सरकार पर निशाना साध रही हैं.