रविवार का दिन यूपी की सियासत का सबसे गर्म दिन रहा. प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और राज्यपाल की मुलाकात से सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. योगी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह ने प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की. दोनों के बीच बातचीत लगभग आधे घंटे तक चली. राज्यपाल से मुलाकात होने से पहले मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों को खारिज करते हुए राधामोहन सिंह ने कहा कि प्रदेश प्रभारी बनने के बाद से उनकी राज्यपाल से भेंट नहीं हुई थी. राज्यपाल से उनकी शिष्टाचार भेंट हुई.
राधामोहन सिंह ने कहा कि यूपी का प्रभारी बनने के बाद अभी तक राज्यपाल से मुलाक़ात नहीं हो पायी थी. जब वो गुजरात में मुख्यमंत्री थी तब मै केंद्र में कृषि मंत्री था, लेकिन इधर 6 महीने में भेंट नहीं कर पाया था. आज भेंट हुई. ये ओपचारिकता और व्यक्तिगत मुलाक़ात थी.
मंत्रीमंडल विस्तार पर राधामोहन सिंह ने कही ये बात
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं को यूपी प्रभारी ने एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ मामला नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन बहुत मजबूती के साथ काम कर रहा है और देश में सबसे लोकप्रिय सरकार उत्तर प्रदेश की है. अभी विधानसभा अध्यक्ष से भी शिष्टाचार भेंट होनी है.
फेरबदल के कयास
दरअसल, छह महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि योगी कैबिनेट में फेरबदल होगा और एमएलसी बने एके शर्मा को कैबिनेट में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि, बीजेपी के पदाधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं, लेकिन पार्टी पदाधिकारियों की बैठकें और बीजेपी प्रभारी की राज्यपाल से मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.
नियम ये कहते हैं
अटकलों से इतर अगर परम्परा और नियमों का बात करें तो राधामोहन सिंह की राज्यपाल से मुलाक़ात मंत्रीमंडल विस्तार के लिये नहीं हो सकती है. क़ायदे के तहत अगर किसी भी राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार या मंत्रणा के लिये राज्यपाल से मुलाक़ात सिर्फ मुख्यंमंत्री ही कर सकते है. मुख्यमंत्री राज्यपाल से चर्चा के लिये समय मांगते हैं और अपनी तरफ़ से प्रस्तावित लोगों की लिस्ट सौंपते हैं. जिसपर आमतौर पर राज्यपाल सहमति देते है.
मुलाकात के हो सकते हैं ये मायने
ये मुलाक़ात औपचारिकता के साथ-साथ इस विषय पर हो सकती है कि आख़िर यूपी की सरकार राज्यपाल की नज़रों में किस तरह से काम कर रही है और उसमे किस तरह की सुधार की ज़रूरत है. बंद लिफ़ाफ़े के बारे में पुख़्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता पर सियासी जानकारों के मुताबिक़ राधामोहन सिंह के केंद्रीय नेतृत्व का कोई मसौदा, किसी मामले में रिपोर्ट या संगठन की किसी चर्चा की रिपोर्ट लेकर आये हों ऐसा हो सकता है.