लखनऊ। सूबे के 17 जिलों में स्थित आशा ज्योति केंद्रों में आने वाली शिकायतों में सबसे अधिक 57 फीसद शिकायतें घरेलू हिंसा की हैं। इनमें गाजियाबाद व कन्नौज में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। गाजियाबाद में 82 फीसद व कन्नौज में 81 प्रतिशत शिकायतें घरेलू हिंसा की दर्ज हैं। वाराणसी में 66 व राजधानी लखनऊ में 57 फीसद मामले घरेलू हिंसा के हैं। इसके अलावा यौन उत्पीडऩ व दहेज के कारण प्रताडऩा के भी काफी अधिक मामले दर्ज हुए हैं।
प्रदेश के 17 जिलों गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, आगरा, झांसी, बांदा, कानपुर, कन्नौज, लखनऊ, इलाहाबाद, मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर व गोरखपुर में आपकी सखी आशा ज्योति केंद्र एवं वन स्टाप सेंटर संचालित हो रहे हैं। इनमें 11 केंद्र मार्च 2016 में खुले थे जबकि छह केंद्र जून 2017 से चल रहे हैं। इसमें किसी भी प्रकार पीडि़त महिलाओं के मामले दर्ज कर उनकी मदद की जाती है।
आशा ज्योति केंद्रों में अब तक कुल 5647 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 3217 मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए हैं। दूसरा नंबर यौन उत्पीडऩ का है। इसके 5.30 फीसद मामले दर्ज हुए हैं। दहेज उत्पीडऩ के भी पांच प्रतिशत से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। सरकार का दावा है कि आशा ज्योति केंद्रों में दर्ज मामलों में 57 फीसद मामले हल हो गए हैं। जबकि, 43 प्रतिशत मामलों में कार्रवाई चल रही है। यहां दर्ज होने वाले 50 फीसद मामलों में महिला के घर रेस्क्यू वैन भेजकर सरकार ने मदद की है।
यह बात सही है कि आशा ज्योति केंद्रों में आने वाली शिकायतों में सबसे अधिक घरेलू हिंसा की है। घरेलू हिंसा तो शुरुआत होती है, इसके बाद आगे बड़े अपराध होने लगते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन से काउंसलिंग भी की जा रही है। महिलाओं को तत्काल मदद के लिए रेस्क्यू वैन भी भेजी जा रही है।