दरभंगा से 30 किलोमीटर दूर कसरौर में मां ज्वालामुखी मंदिर की महिमा अपरम्पार है। गांव के बुजुर्गों की मानें तो सैकड़ो साल पहले हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में लखतराज पांडेय नाम के भक्त को मां ज्वालामुखी ने साक्षात दर्शन दिया था।
लखतराज पांडेय कसरौर से सटे उफरौल गांव के रहने वाले थे। लखतराज पांडेय ने भगवती से अपने गांव चलने की प्रार्थना की और माता ने भी उनकी बात मान ली। कसरौर के आसपास उन दिनों भयानक जंगल हुआ करता था। थकान होने पर वो एक जगह रुके और कुछ देर विश्राम करने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने भगवती से गांव चलने का निवेदन किया। लेकिन भगवती ने यहीं स्थापित होने की इच्छा जताई। लखतराज पांडेय ने उन्हें वहीं स्थापित किया।
कसरौर के ज्वालामुखी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। भक्त बेगूसराय के सिमरिया से गंगाजल लाकर यहां मां के मंदिर में अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार में जो भी भक्त सच्चे मन से मुराद मांगता है मां ज्वालामुखी उसकी झोली भर देती हैं।
एक और खास बात ये कि इस गांव में किसी के घर में भगवती की स्थापना नहीं की गई है। गांववालों के सारे शुभ काम चाहे शादी-विवाह हो या मुंडन-उपनयन…सब मां के प्रांगण में ही संपन्न होता है। इन्हीं मां ज्वालामुखी के अनन्य भक्त हैं शंभू बाबा। शंभू बाबा बिना अन्न ग्रहण किए ही मां की सेवा में निरंतर लगे रहते हैं। गांववालों की मानें तो कई साल पहले शंभू बाबा किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गए थे। बीमारी का इलाज भी चल। लेकिन डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
एक समय ऐसा भी आया था जब शंभू बाबा की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। ऐसे वक्त में शंभू बाबा ने मां ज्वालामुखी की शरण ली और उनके ही मंदिर में निवास करने लगे। गांववाले तो ये भी कहते हैं कि इस दौरान बिल्वपत्र और मां ज्वालामुखी को अर्पित पुष्प ही उनका आहार हुआ करता था। अब आप इसे चमत्कार कहें या जो नाम दें। लेकिन शंभू बाबा की सेहत में सुधार होता चला गया।
इसके बाद तो शंभू बाबा ने अपना जीवन मां ज्वालामुखी के चरणों में ही समर्पित कर दिया। मां के दरबार में जो भी भक्त आता है वो शंभू बाबा से जरूर मिलता है। शंभू बाबा उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए मां से प्रार्थना करते हैं और प्रसाद स्वरूप मिट्टी का टुकड़ा देते हैं।
आस-पास के लोगों का दावा है कि शंभू बाबा में दैविक शक्तियों के असर को साफ महसूस किया जा सकता है और उनकी प्रार्थना से अनगिनत लोगों को लाभ पहुंचा है।
हालांकि कसरौर गांव के लोगों की शिकायत है कि मंदिर का ऐतिहासिक महत्व होने के बाद भी राज्य सरकार और पर्यटन विभाग की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर पर्यटन विभाग पहल करे तो मां ज्वालामुखी के इस धाम को धार्मिक टूरिस्ट प्लेस के तौर पर विकसित किया जा सकता है। दरभंगा रेलवे स्टेशन से विरौल रूट जाने वाली बस से शिवनगर घाट उतरकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
इसके अलावा आप प्राइवेट टैक्सी बुक कराकर भी मां ज्वालामुखी के मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंच सकते हैं।