एजेंसी/नयी दिल्ली। मां बेटी का एक ही पति सुनने में बहुत अटपटी बात है लेकिन एक जनजाति में ऐसा है। यह जनजाति भारत बांग्लादेश की सीमा के पार सुदूर पहाड़ी में रहती है। यूं तो इस मंडी जनजाति में बहु विवाह की प्रथा है। लेकिन यदि किसी का पति मर गया हो और उसे दूसरी शादी करनी हो तो शादी के समय ही उसे अपने पति के साथ अपनी एक बेटी की भी शादी करवानी होती है यानि एक ही व्यक्ति माँ और बेटी दोनों का पति बन जाता है।
मां बेटी का एक ही पति इसलिए शुरू हुई थी ये परम्परा
मा बेटी का एक ही पति की परंपरा कैसे चलन में आयी। मंडी जनजाति के लोगों में शादी कम उम्र में ही होती है, यदि किसी औरत का पति मर जाता है तो ऐसी परंपरा है कि वह औरत शादी तो कर सकती है पर अपनी जाति के लडके से ही. चूंकि, कुंवारे लड़कों की उम्र कम रहती है इसलिए जिस व्यक्ति से वह शादी करती है, उसे उसी के साथ अपनी शादी के समय अपनी एक बेटी की शादी उसकी दूसरी पत्नी के रूप में करवानी होती है और पत्नी धर्म निभाने की उम्र होने पर वह उसकी दूसरी पत्नी बन जाती है। माँ बेटी दोनों ही उस व्यक्ति की पत्नी के रूप में साथ-साथ रहती हैं।
मंडी जनजाति के काफी परिवार ईसाई धर्म को अपना चुके हैं उनमें इस प्रथा पर कमोबेश रोक लगी है पर जो बचे हुए परिवार हैं उनमे अब भी बहु विवाह प्रथा है। लड़कियों को यह स्वीकार करने में बहुत समय लगता है कि जो उनकी माँ का पति है वही उनका भी पति है। बड़े होने पर माँ अपनी बेटी के लिए ऐसी परिस्थिति तैयार करती हैं जिससे उसकी बेटी उसके पति के नजदीक आए और दैहिक सम्बन्ध के लिए भी तैयार हो। दोनों मां-बेटी एक ही पति के साथ एक ही घर में रहती है। एक ही पति होने के कारण मां और बेटी के रिश्ते में एक दरार भी रहती है।