यहां जलाया नहीं बल्कि मिट्टी में मिलाया जाता है रावण

sand-statue-12_12_10_2016कोटा। यूं तो देशभर में दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन कोटा का जेठी समुदाय एक अलग ढंग से दशहरा मनाता है। जी हां, यहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता है बल्कि रेत का एक पुतला बनाकर उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है।

यह पहलवानों का समुदाय है जो मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखता है। यहां के लोग रेत से बने इस पुतले को लिम्बजा माता मंदिर में नष्ट कर देते हैं। इस दौरान कुश्ती भी होती है। लोगों की मान्यता है कि कुश्ती और रावण की रेत की मूर्ति को नष्ट करना बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

इस कम्यूनिटी के सदस्य निमेश जेठी ने कहा ‘इसकी तैयारियां दशहरे से दो-तीन दिन पहले शुरू हो जाती है। सभी अपने अखाड़े की रेत से इस पुतले का निर्माण करते हैं। इसके बाद इसमें जौ बोई जाती है। यह रावण के बालों की तरह होती है। उत्सव शुरू होने से पहले इन बालों को सभी सदस्यों में बांट दिया जाता है। इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।’

समाज के सदस्य लक्ष्मीनारायण जेठी ने बताया ‘हमारे समाज की महिलाएं गरबा खेलती हैं। नवरात्रि में लिम्बजा माता के भजन भी गाती हैं।’

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com