यहां आज भी कान्हा रास रचाते हैं, देखना मना है
मथुरा का निधिवन एक ऐसी जगह है, जहां के बारे में मान्यता है कि यहां कान्हा आज भी रास रचाते हैं। कान्हा के आगमन के लिए यहां मंदिर में विशेष तैयारियां भी की जाती हैं। लेकिन कान्हा को कोई देख नहीं सकता। जानें, क्या है वजह…

निधिवन में आज भी आते हैं कान्हा
कहा जाता है, जो भी कान्हा के रास को देखने की कोशिश करता है वह पागल हो जाता है।
क्या कहते हैं महंत कान्हा रास के बारे में
ऐसा हमारा नहीं, निधिवन के पंडित और महंतों का कहना है। वह इससे जुड़ी कई बातें बताते हैं।
ये होती हैं भगवान कृष्ण के स्वागत की तैयारियां
यहां स्थित कान्हा के मंदिर में हर रोज उनके लिए बिस्तर सजाया जाता है, पान, दातून और पानी रखा जाता है।
पंडित यह साक्ष्य देते हैं भगवान की उपस्थिति का
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि सुबह दातून गीली, पानी समाप्त, पान खाया हुआ और बिस्तर बिगड़ा हुआ मिलता है।
शाम के वक्त बंद कर दी जाती हैं खिड़कियां
निधिवन के आस-पास बने घरों में कोई खिड़की निधिवन की तरफ नहीं खुलती, जो खुलती हैं, उन्हें शाम की आरती का घंटा बजते ही बंद कर दिया जाता है।
पशु-पक्षी भी नहीं रुकते शाम ढलने के बाद
कहा जाता है कि मनुष्य छोड़िए शाम ढलने के बाद पक्षी, बंदर और चीटी तक निधिवन में नहीं रुकते।
निधिवन के पेड़ों को लेकर है यह मान्यता
निधिवन के पेड़ों की भी एक विशेषता है, इनकी शाखाएं अन्य पेड़ों की तरह ऊपर की तरफ बढ़ने के बजाय जमीन की तरफ बढ़ती हैं। रास्ता बनाने के लिए इनकी छंटाई करनी पड़ती है।
वास्तुविद यह मानते हैं निधिवन की प्रसिद्धि की वजह
जबकि वास्तुविद, निधिवन की प्रसिद्धि और रहस्यों के पीछे की वजह इसके वास्तु को मानते हैं।
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