
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मुशर्रफ के समर्थकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में उनके समर्थन में छोटी रैलियां निकाली। मुशर्रफ पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवंबर 2007 में गैर-संवैधानिक आपातकाल लगाने का आरोप था। यह मामला 2013 से लंबित था।
उनकी पार्टी की ओर से जारी एक वीडियो में मुशर्रफ ने कहा कि इस तरह के फैसले का कोई और उदाहरण नहीं है जब न तो प्रतिवादी को और न ही उसके वकील को अपनी बात रखने का मौका दिया गया हो।
उन्होंने कहा कि अदालत ने 2014 से 2019 के बीच उन पर मुकदमा चलाया और दुबई में बयान दर्ज करने के उनके आग्रह को भी ठुकरा दिया था। मुशर्रफ इलाज के लिए देश से बाहर गए थे और 2016 से ही वह दुबई में रह रहे हैं।
मुशर्रफ ने कहा कि अदालत के फैसले पर सवालिया निशान है और इसमें कानून का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं यह कहूंगा कि इस मामले की संविधान के तहत सुनवाई की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन फिर भी उस पर सुनवाई हुई क्योंकि कुछ लोगों के मन में मेरे प्रति बदले की भावना है और एक व्यक्ति को इस मामले में निशाना बनाया गया।
बिना किसी का नाम लिए हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उनके खिलाफ काम किया, वह आज बड़े-बड़े पदों पर हैं और उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने अदालत के फैसले के बाद लोगों और सशस्त्र बलों का उनका साथ देने के लिए आभार जताया। पूर्व तानाशाह ने कहा कि वह अपने भविष्य का फैसला अपने वकीलों से बातचीत करने के बाद करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि न्याय होगा।
उनके वकील पहले ही कह चुके हैं कि वह मौत की सजा को चुनौती देंगे। उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस स्थिति से निपटने के लिए अपने सलाहकारों से बात की है।
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